Agency:News18 Uttar Pradesh
Last Updated:January 23, 2025, 23:48 IST
Woollen Pankhi Bageshwar : इसे शुद्ध ऊन से बनाते हैं. इस वजह से गुणवत्ता काफी अच्छी होती है. इसे बनाने में किसी भी प्रकार के केमिकल या मशीनरी का प्रयोग नहीं होता है.
ऊनी पंखी
बागेश्वर. उत्तराखंड के बागेश्वर जैसे पर्वतीय इलाकों में ठंड से बचने के लिए कई तरीके अपनाएं जाते हैं. इन्हीं में से एक तरीका ऊनी पंखी ओढ़ना भी है. जिले के ठंडे इलाकों में अक्सर कपड़े ठंड के मुताबिक तैयार किए जाते हैं. पहाड़ों में पुराने समय से ही ठंड से बचने के लिए ऊनी पंखी अधिक यूज होती आई है. पंखी एक प्रकार का शॉल होता है. पंखी का कपड़ा सामान्य शॉल के मुकाबले अधिक गर्म होता है. ऊनी पंखी को भेड़ के बालों से तैयार किया जाता है. इसकी उम्र भी अधिक होती है. एक पंखी करीबन 20 से 25 साल चलती है. इसे ओढ़ने पर ठंड का बिल्कुल भी अहसास नहीं होता है. पहाड़ के बुजुर्ग आज भी ऊनी पंखी को पसंद करते हैं. शॉल के बजाय ऊनी पंखी को खरीदते हैं.
दारमा से बागेश्वर आए व्यापारी अरविंद सिंह ने लोकल 18 को बताया कि बुग्याल की बकरियों और भेड़ के बालों से पंखी तैयार की जाती है. जब भेड़ और बकरी बुग्याल से वापस गांव आते हैं. तब उनके बाल काटे जाते हैं. इन बालों को पहले अच्छे से साफ किया जाता है. फिर इन्हें रंग के हिसाब से अलग-अलग किया जाता है. बालों की मशीन में सफाई की जाती है. मशीन में बालों का तागा बन जाता हैं. इन तागों को आसप में जोड़कर पंखी बनाई जाती है. पंखी शुद्ध ऊन से बनती है. इस वजह से इसकी गुणवत्ता काफी अच्छी होती है. इसे बनाने में किसी भी प्रकार के केमिकल या मशीनरी का प्रयोग नहीं किया जाता है. पंखी उत्तराखंड के लोगों के लिए एक प्रकार की पारंपरिक धरोहर भी है, जो यहां के पूर्वजों की देन है.
बाजार में एक पंखी 1000 रुपये से लेकर 2500 तक बिकती है. पंखी बर्फ में भी आपको ठंड से बचाने में सहायक है. चरवाहे जब छह महीने तक बुग्याल में रहते हैं, उस दौरान ठंड से बचने के लिए पंखी का अधिक यूज करते हैं. सामान्य तौर पर पंखी काले, सफेद और भूरे रंग में बनाई जाती है. इन पंखियों को बुग्याल में रहने वाले लोग या जोहार समाज के लोग बनाते हैं. ऊनी पंखी पूरी तरह से हस्तनिर्मित होती है. इसे बनाने के दौरान केवल भेड़ और बकरी के बालों को साफ करने के लिए मशीन का यूज किया जाता है. बाकी का काम हाथ से होता है.
Location :
Bageshwar,Uttarakhand
First Published :
January 23, 2025, 23:48 IST
गर्म हीटर से कम नहीं पहाड़ों की ये ऊनी पंखी, शॉल-स्वेटर सब इसके आगे फीके