शाहजहांपुर: गेहूं की फसल में खरपतवार एक बड़ी समस्या है. खरपतवार गेहूं की फसल के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं. गेहूं की फसल में खासकर गिल्ली-डंडा नाम का खरपतवार फसल को प्रभावित करता है. जिसकी रोकथाम और प्रभावी नियंत्रण के लिए किसानों को बुवाई वक्त ही खरपतवारनाशी का इस्तेमाल कर लेना चाहिए. ऐसा करने से गेहूं की फसल में खरपतवार नहीं उगेंगे. लेकिन खरपतवार नाशक का इस्तेमाल करते समय किसान एक्सपर्ट द्वारा बताई हुई बातों का ध्यान रखें.
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि खरपतवार पौधों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं. जिससे पौधों को मिलने वाला पोषण, पानी और प्रकाश प्रभावित होता है. जिससे पौधों की बढ़वार प्रभावित होती है और 30% तक उत्पादन पर भी असर पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि किसान बुवाई के वक्त ही खरपतवारनाशी पेंडीमेथालिन 30% ईसी (Pendimethalin 30% EC) का इस्तेमाल कर लें. जिससे खरपतवार को उगने से रोका जा सकता है और अगर खरपतवार उगते भी हैं तो वह सिंचाई के वक्त खुद ही मर जाते हैं.
ऐसे तैयार करें घोल
खरपतवारनाशी पेंडीमेथालिन का इस्तेमाल करने के लिए जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए. गेहूं की बुवाई के बाद तुरंत पटेला लगाकार या 24 घंटे में पेंडीमेथालिन दवा का इस्तेमाल करना चाहिए. 1.5 लीटर पेंडीमेथालिन को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर दें.
कैसे करें पेंडीमेथालिन का छिड़काव?
खरपतवारनाशी पेंडीमेथालिन मिट्टी के ऊपर एक परत बना लेता है. जिसकी वजह से खरपतवार के बीज का जमाव नहीं हो पाता और अगर कोई खरपतवार उग भी आता है तो पहली सिंचाई के दौरान ही वह खुद मर जाता है. लेकिन जरूरी है कि मिट्टी के ऊपर बनी हुई परत ना टूट पाए, खरपतवारनाशी का छिड़काव करते समय किसानों को साइड की ओर चलना चाहिए या फिर पीछे की ओर छिड़काव करते हुए चलें
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FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 16:18 IST