गेहूं की बुवाई से पहले ध्यान रखें ये टिप्स! गलती करने पर मेहनत हो जाएगी बर्बाद

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रायबरेली: अक्टूबर का महीना लगभग खत्म होने को है. यूपी के कई जिलों में कहीं धान की कटाई खत्म हो गई है तो कहीं अभी भी कटाई जारी है. धान की कटाई के साथ ही रबी सीजन की शुरुआत हो जाती है. रबी सीजन में गेहूं की फसल को मुख्य फसल माना जाता है. किसान बड़े पैमाने पर गेहूं की बुवाई करते हैं, लेकिन गेहूं की बुवाई करते समय किसानों को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए. ताकि उन्हें गेहूं की अच्छी पैदावार मिल सके. तो आइए कृषि विशेषज्ञ से जानते हैं. गेहूं की बुवाई करते समय किसानों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

कृषि के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव रखने वाले रायबरेली जिले के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्रभारी कृषि अधिकारी शिव शंकर वर्मा (बीएससी एजी डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद) का कहना है कि धान की कटाई के साथ ही गेहूं की बुवाई का सीजन शुरू हो गया है. गेहूं की बुवाई करने वाले किसानों को खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लेना चाहिए. ताकि उन्हें फसल की अच्छी पैदावार मिल सके.

इन बातों का रखें ध्यान
लोकल 18 से बात करते हुए शिव शंकर वर्मा बताते हैं कि गेहूं की फसल की बुवाई करने वाले किसानों को इन आठ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए. ताकि उन्हें फसल की अच्छी पैदावार मिल सके.

1.उपयुक्त भूमि का चयन: गेहूं के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, जिसमें जल निकास की उचित सुविधा हो. खेत की अच्छी तरह जुताई करके उसे समतल कर दें, ताकि पानी बराबर मात्रा में उपलब्ध हो सके.

2. मिट्टी की तैयारी: बुवाई से पहले मिट्टी की जांच करवा लें, ताकि आवश्यक पोषक तत्वों का पता चल सके. जैविक खाद का उपयोग करके मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाएं और उसमें उचित मात्रा में उर्वरक डालें.

3. बीज की गुणवत्ता और उपचार: अच्छी उत्पादन वाली किस्मों का चयन करें और प्रमाणित बीजों का उपयोग करें. बुवाई से पहले बीजों को कैप्टान या थाइरम जैसे फफूंदनाशकों से उपचारित करें.

4. बुआई का सही समय: बुवाई का सही समय अक्टूबर के मध्य से नवंबर के मध्य तक है. देरी से बुआई करने पर उपज कम हो सकती है, इसलिए समय पर बुआई करें.

5. बीज की मात्रा और गहराई: प्रति हेक्टेयर लगभग 100-125 किलोग्राम बीज का उपयोग करें. बीज की बुआई की गहराई 4-5 सेमी रखें, ताकि बीजों को आवश्यक नमी मिल सके.

6. सिंचाई व्यवस्था: पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद करें. इसके बाद आवश्यकतानुसार 4-5 सिंचाई की योजना बनाएं. फसल विकास के प्रमुख चरणों जैसे फूल आने और दाना बनने के समय सिंचाई का विशेष ध्यान रखें.

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7. खाद और उर्वरक प्रबंधन: संतुलित उर्वरक का प्रयोग करें, जिसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश शामिल हो. बुवाई के समय फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा दें, बाकी नाइट्रोजन दो चरणों में दें.

8. कीट और रोग नियंत्रण: समय-समय पर फसल की जांच करते रहें. किसी कीट या रोग का लक्षण दिखने पर समय रहते जैविक या रासायनिक उपाय अपनाएं.

Tags: Local18, Special Project

FIRST PUBLISHED :

October 24, 2024, 12:36 IST

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