रजत भट्ट: गोरखपुर यूनिवर्सिटी ने अपने शैक्षिक ढांचे में एक बड़ा बदलाव करते हुए “प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस” की नियुक्ति का निर्णय लिया है. इस पहल का उद्देश्य छात्रों को न सिर्फ सैद्धांतिक ज्ञान देना है, बल्कि उन्हें उद्योगों की वास्तविक मांगों के अनुरूप तैयार करना भी है. विश्वविद्यालय की कार्य परिषद पहले ही इस प्रस्ताव को मंजूरी दे चुकी है, जिससे अब छात्रों को इंडस्ट्री के विशेषज्ञों से सीधे मार्गदर्शन मिल सकेगा.
शिक्षा के साथ रोजगार पर फोकस
अक्सर यह देखा गया है कि यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद भी छात्रों को रोजगार ढूंढ़ने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसका मुख्य कारण इंडस्ट्री से जुड़े प्रशिक्षण की कमी है. जब बाहरी विशेषज्ञों को बुलाया जाता है, तो वे सिर्फ सीमित समय में ही सामान्य ट्रेनिंग दे पाते हैं, जिससे छात्रों को पूरी तरह से इंडस्ट्री के लिए तैयार करना मुश्किल हो जाता है. इसी समस्या का समाधान करने के लिए, अब यूनिवर्सिटी प्रशासन ने यह कदम उठाया है कि अनुभवी इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स को नियमित रूप से प्रोफेसर के तौर पर नियुक्त किया जाए.
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स से मिलेगा छात्रों को मार्गदर्शन
प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस” के रूप में उन विशेषज्ञों को चुना जाएगा, जिन्होंने अपने फील्ड में लंबा अनुभव और विशेषज्ञता हासिल की हो. इन प्रोफेसर्स का मुख्य कार्य छात्रों को इंडस्ट्री की मांग के अनुसार प्रशिक्षण देना होगा, ताकि वे न सिर्फ शैक्षिक रूप से, बल्कि व्यावसायिक रूप से भी बेहतर तरीके से तैयार हो सकें. यह व्यवस्था छात्रों को इंडस्ट्री की जरूरतों को समझने और उन्हें उसी दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करेगी.
रोजगार के अवसर होंगे बेहतर
इस नई पहल के बाद छात्रों को अब यूनिवर्सिटी के अंदर ही वह आवश्यक ट्रेनिंग मिलेगी, जो उन्हें इंडस्ट्री में काम करने के लिए तैयार करेगी. इस प्रकार उन्हें अपने कौशल को निखारने और बेहतर रोजगार के अवसर हासिल करने में मदद मिलेगी. विश्वविद्यालय के वीसी प्रो. पूनम टंडन का मानना है कि, यह कदम छात्रों के करियर को मजबूत बनाने में मील का पत्थर साबित होगा, क्योंकि उन्हें सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक अनुभव भी मिलेगा.
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FIRST PUBLISHED :
September 25, 2024, 15:52 IST