छतरपुर में इस पान की खेती ने क्यों मचाई धूम? किसानों के लिए साबित हुआ पारस...

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Agency:News18 Madhya Pradesh

Last Updated:January 31, 2025, 19:48 IST

Paan Farming : छतरपुर जिले में वर्षों से पान की खेती हो रही है, लेकिन अब युवा किसान बांग्ली पान की खेती में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं. बांग्ली पान ठंड में कम खराब होता है, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा मिलता है. ...और पढ़ें

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बांग्ली

बांग्ली पान खेती करता युवा किसान जग्गन चौरसिया 

हाइलाइट्स

  • छतरपुर में युवा किसान बांग्ली पान की खेती में रुचि दिखा रहे हैं.
  • बांग्ली पान ठंड में नुकसान कम होने से मुनाफा ज्यादा देता है.
  • लखनऊ में बांग्ली पान की सप्लाई सबसे ज्यादा होती है.

छतरपुर. छतरपुर जिले के गढ़ीमलहरा और महाराजपुर में पान की खेती सालों से होती आ रही है. यहां का पान पहले पाकिस्तान भी भेजा जाता था. हालांकि, अब यह कुछ ही शहरों तक सीमित हो गया है. सबसे ज्यादा यहां देसी पान की ही खेती होती थी लेकिन अब युवा किसान बांग्ली पान की खेती में दिलचस्पी ज्यादा दिखा रहे हैं. आज जानेंगे किसान भाई से कि ऐसा क्यों…

युवा किसान जग्गन चौरसिया लोकल 18 से बातचीत में बताते हैं कि छतरपुर के ज्यादातर युवा किसान बांग्ली पान की खेती में रुचि दिखा रहे हैं. हालांकि, अभी भी जिले में देसी पान की खेती होती है.

बांग्ली पान में नुकसान कम होता है 
किसान जग्गन बताते हैं कि भांग ली पान खेती में किसानों की रूचि लिए बर्ड रही है क्योंकि स्पान मैं नुकसान का होता है जो कि देसी पाने नुकसान ज्यादा होता है यह नुकसान ठंड मौसम में होता है आगे ठंड में पान खराब होने से बच जाता है तो किसानों को अच्छा मुनाफा वो जाता है. दरअसल, बांग्ली पान में जड़ ज्यादा होती है जबकि देसी पान में जड़ कम होती है जिसके चलते बांग्ली पान को ठंड से नुकसान कम होता है.

यहां होता है सबसे ज्यादा सप्लाई 
किसान बताते हैं कि अगर बांग्ली और देसी पान के सप्लाई की बात करें तो दोनों पान की सप्लाई बराबर ही होती है. लखनऊ बांग्ली पान की मंडी है इसलिए वहां सप्लाई ज्यादा होती है. हालांकि, बनारस में भी बांग्ली पान की सप्लाई होती है. लेकिन लखनऊ के लोग बांग्ली पान ज्यादा खाते हैं.

सैकड़े में बिकता है बांग्ली पान 
किसान बताते हैं कि बांग्ली पान तौल में न बिककर सैकड़े में बिकता है. जबकि देसी तौल में बिकती है. 50 रुपए से लेकर 100 रुपए सैकड़ा डोली बिकता है. 400 रुपए सैकड़ा भी बिकता है. इसमें अच्छी क्वालिटी के पान रहते हैं, साइज में बड़े होते हैं. वहीं 100 रुपए सैकड़े वाले पान में छोटे साइज के पान होते हैं.

किसान जग्गन बताते हैं कि बांग्ली और देसी पान के स्वाद की बात करें तो बांग्ली पान स्वाद में चिरपरा यानी तीखा होता है जबकि देसी पान स्वाद में चिरपरा न होकर मीठा होता है.

Location :

Chhatarpur,Madhya Pradesh

First Published :

January 31, 2025, 19:48 IST

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