छत्तीसगढ़ के बाल वैज्ञानिकों का कमाल! बनाई स्वत: चार्ज होने वाली इलेक्ट्रिक कार

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Agency:News18 Chhattisgarh

Last Updated:February 07, 2025, 21:15 IST

Multipurpose Electric Car: महासमुंद जिले के दो बाल वैज्ञानिकों ने एक अनोखी इलेक्ट्रिक कार विकसित की है. इस नई तकनीक को मल्टीपरपज इलेक्ट्रिक कार नाम दिया गया है. इस कार की खासियत है है कि चलजे समय स्वत: चार्ज हो...और पढ़ें

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हाइलाइट्स

  • बाल वैज्ञानिकों ने बनाई स्वत: चार्ज होने वाली इलेक्ट्रिक कार.
  • यह कार चलते समय खुद-ब-खुद चार्ज होती रहेगी.
  • नई तकनीक ऑटो सेक्टर में क्रांति ला सकती है.

रायपुर. छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के पिथौरा स्थित संस्कार शिक्षण संस्थान में अध्ययनरत दो बाल वैज्ञानिकों ने एक अनोखी इलेक्ट्रिक कार विकसित की है, जो चलते समय खुद-ब-खुद चार्ज होती रहेगी. इस नवाचार से ईंधन की बचत होगी और बार-बार बैटरी चार्ज करने की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा. यह खोज इलेक्ट्रिक वाहनों की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है.

इस नई तकनीक को मल्टीपरपज इलेक्ट्रिक कार नाम दिया गया है, जिसे राम दर्शन पब्लिक विद्यालय, जंघोरा में कक्षा 10वीं की छात्राएं रोशनी चौधरी और प्रीति पटेल ने विकसित किया है. इनकी खोज में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह कार बिना किसी बाहरी चार्जिंग स्रोत के लगातार चलती रहेगी.

कैसे काम करती है यह तकनीक?

इस कार में डायनमो आधारित चार्जिंग सिस्टम लगाया गया है, जो कार के चलते ही बैटरी को चार्ज करता रहेगा. इससे कार को अलग से चार्ज करने की आवश्यकता नहीं होगी और यह बिना रेंज की परवाह किए हजारों किलोमीटर तक चल सकेगी. वर्तमान में बाजार में उपलब्ध इलेक्ट्रिक कारों को कुछ दूरी चलाने के बाद चार्जिंग की जरूरत होती है, लेकिन यह नई तकनीक इस समस्या से मुक्ति दिला सकती है. इस तकनीक का प्रदर्शन जिला स्तरीय युवा उत्सव विज्ञान मेला में किया गया था, जहां इस परियोजना ने प्रथम स्थान प्राप्त किया. इसके बाद इसे राज्य स्तरीय युवा उत्सव रायपुर साइंस कॉलेज विज्ञान मेला के लिए चयन हुआ था. इस प्रोजेक्ट को विकसित करने में संस्कार शिक्षण संस्थान, पिथौरा के संचालक और युवा वैज्ञानिक गौरव चंद्राकर का मार्गदर्शन मिला.

इलेक्ट्रिक वाहनों की दुनिया में ला सकती है क्रांति

अगर इस तकनीक को बड़े पैमाने पर विकसित किया जाता है, तो यह इलेक्ट्रिक वाहनों की दुनिया में एक नई क्रांति ला सकती है. पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता घटेगी और इलेक्ट्रिक वाहनों की सबसे बड़ी समस्या बार-बार चार्जिंग का समाधान भी मिल सकता है. युवा वैज्ञानिक गौरव चंद्राकर का मानना है कि इस खोज को आगे के अनुसंधान और पेटेंट प्रक्रिया से गुजारने की जरूरत है, ताकि इसे व्यावसायिक स्तर पर उतारा जा सके. यह उपलब्धि ना केवल छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है, बल्कि देशभर में बाल वैज्ञानिकों की क्षमताओं को दर्शाने का एक शानदार उदाहरण भी है.

Location :

Raipur,Chhattisgarh

First Published :

February 07, 2025, 21:15 IST

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