हिमांशु मित्तल.
कोटा. बेटे ही नहीं बेटियां भी आज के समय में बेटों की तरह माता-पिता के प्रति पूरा फर्ज निभाती है. बेटों की ओर से की जाने वाली धार्मिक रस्मों को निभा रही हैं. समय के साथ समाज भी बेटियों के इन कदमों को स्वीकार करने के साथ ही उनका समर्थन करने लगा है. कुछ ऐसा ही हुआ है कोचिंग सिटी कोटा में. कोटा में एक शख्स की असमय मौत हो जाने के बाद उसकी छह बेटियों ने जब अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया तो वहां मौजूद हर एक शख्स की आंखों में आंसू आ गए.
जानकारी के अनुसार अजमेर निवासी दिलीप चौरसिया कोटा के लाडपुरा में रहते थे. मंगलवार को उनका आकस्मिक निधन हो गया. दिलीप चौरसिया की 6 बेटियां अंकिता, रेणु, हर्षिता, अन्नू, नेहा और डिंपल हैं. उनके बेटा नहीं है. दिलीप चौरसिया ने अपनी बेटियों की परवरिश बेटों की तरह ही की थी. उन्हें बेटे की चाहत कभी नहीं रही. दिलिप के रिश्तेदारों और जानकारों के मुताबिक वे अपने बेटियों पर हमेशा गर्व किया करते थे.
बेटियों ने अपने दिल को कड़ा कर सभी रस्में निभाई
उनके निधन के बाद बेटियां भी अपने फर्ज से पीछे नहीं हटी. मंगलवार को जब दिलिप चौरसिया का निधन हुआ तो छहों बेटियां आगे आईं और अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया. यही नहीं बेटियां घर से लेकर रामपुरा मुक्तिधाम तक पिता की शव यात्रा के साथ गई. श्मशान घाट में बेटियों ने पूरे रीति रिवाज के साथ पिता को मुखाग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार कराया. यह देखकर कुछ परिजन तो फफक फफककर रो पड़े. वहीं बेटियों ने अपने दिल को कड़ा कर सभी रस्में निभाई.
बेटियों के सिर पर पिता की पगड़ी भी बंधने लग गई है
हालांकि राजस्थान में इस तरह का यह कोई पहला मामला नहीं है जब बेटियों ने पिता की या मां की अर्थी को कंधा और मुखाग्नि दी हो. इससे पहले भी इस तरह के केस सामने आते रहे हैं. यहां तक कि अब पिता की पगड़ी भी बेटियों के बंधने लग गई है. बीते दिनों राजस्थान में इसका उदाहरण भी सामने आया था जब पिता की मौत के बाद समाज के सामने बेटी को पगड़ी बांधी गई. लेकिन फर्क इतना आ गया है पहले इनको लेकर कानाफूसी होती थी वहीं अब इसे सामाजिक मान्यता मिलने लगी है.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 11:11 IST