जानिए कैसे कई दिनों की बहस के बाद ईरान ने इजरायल पर दागे 200 से ज्यादा मिसाइल,

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हाइलाइट्स

क्यों ईरान के शीर्ष कमांडर चाहते थे कि इजरायल पर मिसाइल्स दागनी जरूरी हैकैसे किया गया देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को आश्वस्तमाना जा रहा है ईरान के नए राष्ट्रपति इस हमले के पक्ष में नहीं थे

01 अक्तूबर की रात ईरान ने तेल अवीब की ओर करीब 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिसे इजरायल ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम से विफल कर दिया. लेबनान पर इजरायल के लगातार हमलों और हिजबुल्लाह के प्रमुख नसरल्ला की मौत के बाद ईरान में लगातार इस बात पर कई दिन बहस चली कि इजरायल पर मिसाइल्स दागना चाहिए या नहीं. दरअसल ईरान के बहुत से नेता ये नहीं चाहते थे लेकिन वहां सरकार के शीर्ष स्तर पर कई दिनों तक चली तीखी बहस के बाद, ईरान के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की बात मानी गई.

न्यूयार्क टाइम्स ने इसे लेकर विस्तार में एक रिपोर्ट दी है. रिपोर्ट कहती है कि तीन ईरानी अधिकारियों के अनुसार, मंगलवार को प्रत्यक्ष सैन्य हमला तब किया गया जब रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कोर के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों ने देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को आश्वस्त किया कि यदि ईरान मजबूत दिखना चाहता है तो यही एकमात्र रास्ता है.

इजरायली सेना ने बताया कि इस आश्चर्यजनक हमले के दौरान ईरान ने इजरायल पर करीब 180 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं. इजरायल ने बताया कि इनमें से कुछ मिसाइलें जमीन पर गिरीं, लेकिन अधिकांश को रोक दिया गया.

योजना से परिचित रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के दो सदस्यों ने बताया कि ईरानी सेना ने पश्चिमी सीमाओं से दागे जाने के लिए सैकड़ों मिसाइलें भी तैयार कर रखी हैं, ताकि इजरायल या उसके शीर्ष सहयोगी अमेरिका के जवाबी हमले की स्थिति में उन पर हमला किया जा सके.

रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने एक बयान में कहा, “यदि ज़ायोनी शासन ईरान के ऑपरेशन पर प्रतिक्रिया करता है तो उसे और अधिक भयंकर हमलों का सामना करना पड़ेगा.” रिपोर्ट्स कहती हैं कि वर्ल्ड रैंकिंग के अनुसार ईरानी की सैन्य ताकत इजरायल से ज्यादा है. अगर ईरानी की सैन्य ताकत की वर्ल्ड रैंकिंग 14 है तो इजरायल की 17.

बयान में कहा गया है कि पिछले हफ़्ते लेबनान के उग्रवादी समूह हिज़्बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की इज़रायल द्वारा की गई हत्या का बदला लेने के लिए मिसाइलें दागी गई थीं. श्री नसरल्लाह ईरान के “प्रतिरोध की धुरी” में सबसे शक्तिशाली व्यक्ति थे. वह खामेनेई के करीबी विश्वासपात्र थे.

ईरान के नए राष्ट्रपति का क्या कहना था
दरअसल जो बहस ईरान में कई दिनों तक चली, उसमें ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन उन लोगों में थे, जिन्होंने संयम बरतने का आग्रह किया लेकिन मंगलवार को उन्होंने कहा कि मिसाइल हमला आत्मरक्षा का एक वैध कार्य था. उन्होंने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को चेतावनी दी कि “ईरान युद्ध नहीं चाहता है, लेकिन वह किसी भी खतरे के खिलाफ मजबूती से खड़ा रहेगा.”

7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के नेतृत्व में हुए हमले के बाद से करीब एक साल से हिजबुल्लाह और इजरायल एक दूसरे पर हमला करने में उलझे हुए हैं. लेबनानी आतंकवादियों द्वारा हमास के समर्थन में सीमा पार से रॉकेट दागने के बाद अब इजरायल ने हिजबुल्लाह पर अपने हमले तेज कर दिए. ऐसे भी ये साफ नहीं था कि हिजबुल्लाह का संरक्षक ईरान कैसे – या क्या – जवाब देगा.

ईरान खुद क्या संकेत दे रहा था
कुछ विश्लेषकों के अनुसार, सर्वोच्च नेता सहित ईरानी नेताओं की शुरुआती टिप्पणियों से यह संकेत मिलता है कि ऐसा शायद न किया जाए, कम से कम प्रत्यक्ष रूप से तो नहीं, अन्यथा वह स्वयं को इजरायल के साथ पूर्ण पैमाने पर युद्ध में उलझा हुआ पा सकता है.

पेजेशकियन ने क्या चेतावनी दी
ईरानी अधिकारियों के सूत्रों ने बताया कि निजी तौर पर पेजेशकियन सावधानी बरतने का आग्रह कर रहे थे. उन्होंने बहस में चेतावनी दी कि इजरायल ईरान को व्यापक संघर्ष में फंसाने की कोशिश कर रहा है. ईरानी राष्ट्रपति ने नसरल्लाह की हत्या से कुछ ही दिन पहले संयुक्त राष्ट्र के सामने तनाव कम करने की अपनी इच्छा के बारे में बात की थी.

ईरान में अंदरूनी तौर पर इजराइल को जवाब देने का दबाव था
ईरान के अंदर इजरायल पर हमला करने का दबाव इसलिए भी बढ़ा हुआ था क्योंकि ईरानी रूढ़िवादियों ने सोशल मीडिया और ईरानी मीडिया पर एक कठोर अभियान के तहत राष्ट्रपति और सरकार पर हमला किया. उनका कहना कि संयम बरतने का उनका आह्वान देशद्रोह के समान है. मंगलवार को इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइल हमले से यह स्पष्ट हो गया कि बहस में किस पक्ष की जीत हुई है, कम से कम फिलहाल के लिए.

क्यों हमला करना चाहते थे ईरानी कमांडर
ईरान के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों ने निष्कर्ष निकाला कि इजरायल के खिलाफ़ प्रतिरोध स्थापित करना ज़रूरी है. ताकि हिज़्बुल्लाह पर उसके हमले की धार को मोड़ा जा सके या कम से कम धीमा किया जा सके. इससे भी ज़्यादा महत्वपूर्ण, उन्होंने तर्क दिया कि ईरान को इजरायल को तेहरान की ओर अपना ध्यान केंद्रित करने से रोकने के लिए कार्रवाई करने की ज़रूरत थी.

ईरानी अधिकारियों ने बताया कि मिसाइलें करज, केरमानशाह और अजरबैजान प्रांत में रिवोल्यूशनरी गार्ड्स एयरोस्पेस बेस से लॉन्च की गईं. न्यूयार्क टाइम्स से उन्होंने अनुरोध किया कि उनके नाम प्रकाशित न किए जाएं क्योंकि उन्हें बोलने का अधिकार नहीं है.

ईरानी लोग क्या चाहते थे
ईरानी लोग “प्रतिरोध की धुरी” के सदस्यों के साथ विश्वसनीयता बहाल करना चाहते थे और ये धारणा को बदलना चाहते थे कि ईरान या उसके क्षेत्रीय सहयोगी कमजोर हैं.

ऐसा करके ईरान क्या चाहता है
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के ईरान निदेशक अली वेज़ ने मिसाइल हमले से पहले कहा था कि ईरान में इजरायल को जवाब देने की दिशा में आम सहमति बन गई है, “ताकि इजरायल द्वारा पिछले कुछ दिनों में हासिल की गई गति को समाप्त किया जा सके.” लेकिन ईरान में बहुत से लोग ये भी मान रहे हैं कि ये फैसला उल्टा भी पड़ सकता है.

क्या ईरान की प्रतिक्रिया के जोखिम भी हैं
वेज़ ने न्यूयार्क टाइम्स से कहा, “ईरान की एकतरफा प्रतिक्रिया अभी बहुत जोखिम भरी है क्योंकि यह इजराइल को ईरान पर जवाबी हमला करने का औचित्य प्रदान करेगी, क्योंकि अब हिज़्बुल्लाह के घुटने टेकने के कारण ईरान काफ़ी उजागर हो चुका है.” “अगर ईरान इजराइल पर हमला करता है तो यह दर्शाता है कि उन्होंने निष्क्रियता की लागत का अनुमान इजराइल के खिलाफ़ कार्रवाई करने के जोखिमों से कहीं ज़्यादा लगाया है.”

ईरानी राष्ट्रपति सार्वजनिक तौर पर खामनेई का समर्थन करेंगे
पेजेशकियन के एक वरिष्ठ सहयोगी ने मिसाइल हमले से पहले टेलीफोन पर दिए साक्षात्कार में कहा कि इजरायल के साथ युद्ध के बारे में राष्ट्रपति की निजी आपत्तियां चाहे जो भी हों, वह खामेनेई द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय का सार्वजनिक रूप से समर्थन करेंगे – जैसा कि उन्होंने मंगलवार को किया.

अब सबकी नजरें खामनेई की जुमे की नमाज पर
ईरानी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, खामेनेई इस सप्ताह तेहरान में जुमे की नमाज़ का नेतृत्व करेंगे. एक ऐसा भाषण उपदेश देंगे, जिससे पता चलेगा कि आगे क्या होने वाला है. खामेनेई आमतौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी असाधारण परिस्थितियों में ही जुमे की नमाज़ का नेतृत्व करते हैं. उन्होंने आखिरी बार 2020 में ईरानियों द्वारा सम्मानित शीर्ष जनरल कासिम सुलेमानी की अमेरिकी हत्या के बाद जुमे की नमाज़ का नेतृत्व किया था.

Tags: Iran news, Israel, Israel Iran War

FIRST PUBLISHED :

October 2, 2024, 13:43 IST

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