Last Updated:January 31, 2025, 10:03 IST
Indian navy news: लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना और रूपा ने करीब तीन साल से यात्रा के लिए तैयारी की. नेवी ने सागर परिक्रमा के दूसरे एडिशन के लिए इन दोनों अफसरों ने गोवा से मॉरिशस, गोवा से कैपटाउन होते हुए रियो-डी-जेनर...और पढ़ें
Indian navy news: 1 नाव और 2 सवार करने निकली 40 हजार किलोमीटर पार, पहुंच गई जमीन से उस हिस्से में जो कि किसी ने सोचा ना होगा. प्रशांत महासागर में तारिणी की नारी शक्ति ने साहसिक कारनामा कर दिखाया. पिछले साल 2 अक्टूबर को भारतीय नौसेना की दो महिला अफसर INSV तरिणी बोट से पूरी दुनिया का चक्कर लगाने के लिए निकली. महिला अफसरों ने अशांत समुद्री यात्रा के तीसरे पड़ाव को पार किया. यह पड़ाव ऐसा था जो किसी जमीन के हिस्से से 2688 किलोमीटर दूर है. दक्षिण प्रशांत महासागर के इस पॉइंट के करीब ड्यूसी द्विप है. INSV तरिणी पर सवार लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए ने 30 जनवरी 2025 को रात 12:30 (IST) पर पॉइंट नीमो को सफलतापूर्वक पार किया. 1999 में पॉइंट नीमो तक पहुंचने वाली पहली जहाज स्पेनिश रिसर्च वेसल हेस्पेरिडेस थी. INSV तरिणी से पॉइंट नीमो को पार करना एक अनूठी उपलब्धि है.
पॉइंट नीमो के सबसे करीब इंसान सिर्फ एस्ट्रोनॉट
पॉइंट नीमों को ग्रेवयॉर्ड ऑफ स्पेस क्राफ्ट, मोस्ट रिमोट लोकेशन ऑन अर्थ के नाम से भी जाना जाता है. यह स्थान 48°53′S 123°24′W पर स्थित है. यह जगह पृथ्वी के सबसे दूर का इलाका है. पॉइंट नीमो से सबसे पास की जमीन लगभग 2688 किलोमीटर पर है. दक्षिणी प्रशांत महासागर में स्थित यह पॉइंट अपनी अत्यधिक रिमोट एरिया के तौर पर जाना जाता है. यहां पर किसी इंसान की सबसे नजदीक मौजूदगी सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में मौजूद एक्स्ट्रानॉट की होती है, जो इसके 400 किलोमीटर ऊपर ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है.
प्रशांत महासागर में स्पेसक्राफ्ट का कब्रिस्तान
पॉइंट नीमो डी कमिशन हुए अंतरिक्ष यान का कब्रिस्तान भी है, जहां स्पेस एजेंसियां अपने उपयोग में ना लाए जाने वाले उपग्रहों और अंतरिक्ष स्टेशन को दफ्न करते है. पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के बाद इसी इलाके में उन्हें समंदर में गिराया जाता है. कोई इंसान यहां नहीं है इसलिए जान माल का कोई खतरा नहीं होता है. नासा का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भी यहीं दफ्न होगा. नासा ने एलान किया है कि 2031 की शुरुआत में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को बंद कर देगा. इसी पॉइंट नीमो में ही वह समंदर में समा जाएगा. इस प्रक्रिया को डी ऑर्बिटिंग कहा जाता है. इसकी प्रक्रिया 2026 में शुरू होगी. चार साल में इसे धीरे धीरे-धीरे समंदर में उतारा जाएगा.
8 महीने में नाप देंगी पूरी दुनियां
भारतीय नौसेना का नाविका सागर परिक्रमा का दूसरा एडिशन है. INSV तारिणी 17 मीटर लंबी और 5 मीटर चौड़ी एक नाव है. सिर्फ समुद्री हवा की गति से चलने वाली यह बोट है. नाव चलाने के लिए कोई बाहर से सपोर्ट नहीं है यानी कोई इंजन नहीं है. दोनों महिला अफसर बोट को हवा की ताकत से ही चला रही ह. इस दौरान हाई सी, एक्सट्रीम वेदर कंडीशन से सामना कर रही हैं. 8 महीनों तक समंदर में नाव चलाकर दो महिला अधिकारी 21600 नॉटिकल मील यानी 40 हजार किलोमीटर से ज्यादा का सफर पूरा कर रही हैं. यह सफर किसी कनाल या स्ट्रैट से होते हुए नहीं गुजर रही है. इस पूरे सफर में इक्वेक्टर को कम से कम दो बार पार करना है. इससे पहले 2017 में नेवी की छह महिला अधिकारियों ने सरकम नेविगेशन पूरा किया था.
First Published :
January 31, 2025, 10:03 IST