Green Chilli Farming: जिले के रहने वाले किसान जगरन्नाथ मौर्या पिछले कई सालों से देसी मिर्च की जैविक खेती करते आ रहे हैं. जिससे उनको अच्छा मुनाफा होता है.खास बात ये है जगरन्नाथ जी ने दो गाय पाल रखी है. इन गायों से निकलने वाले गोबर व मूत्र से ये वो प्रकृति खेती तैयार करते हैं. इन तरीकों को अपनाकर वो हर महीने में मोटी कमाई कर रहे हैं.
कैसे होती है मिर्च की जैविक खेती
जैविक खेती प्रकृति के अनुरूप काम करती है. चूंकि जैविक किसान सिंथेटिक उर्वरकों, जीएमओ या कीटनाशकों का उपयोग नहीं करते हैं. इसलिए उन्हें अन्य तरीकों की मदद से कीड़े, बीमारी और खरपतवारों से लड़ना पड़ता है.लेकिन जैविक खेती में गाय के गोबर यूरिन का बहुत बड़ा महत्व होता है.जिसके निकलने वाले गोबर मूत्रो को विशेष प्रकार की मिट्टी गूढ़ आदि सामग्री डाल कर तैयार किया जाता है.
जैविक खेती के फायदे
जैविक खेती के फायदे अनेकों है. जैविक खेती का सबसे बड़ा जो लाभ है वह यह है कि जैविक विधि से खेती करने वाली भूमि बंजर और खराब नहीं होती है. तथा वह अधिक समय के लिए उपजाऊ रहती है. जैविक प्रक्रिया द्वारा की गई खेती की फसलों को भी अच्छा माना जाता है. जिसमें स्वाद विटामिन, प्रोटीन अधिक मात्रा में और शुद्ध मात्रा में पाया जाता है. लेकिन बहुत कम ही किसान ऐसे हैं जो जैविक विधि से खेती करते हैं. इसलिए जैविक खेती में उपज थोड़ी कम रहती है और तैयार होने में भी समय लगता है.
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मिर्च बुवाई का सही तरीका
मिर्च की पौध तैयार करने के लिए ऐसे स्थान का चुनाव करें, जहां पर पर्याप्त मात्रा में धूप आती हो. बीजो की बुवाई 3 गुणा 1 मीटर आकार की भूमि से 20 सेमी ऊंची उठी क्यारी में करें. मिर्च की पौधषाला की तैयारी के समय 2-3 टोकरी वर्मी कंपोस्ट या पूर्णतया सड़ी गोबर खाद 50 ग्राम फोटेट दवा या क्यारी मिट्टी में मिलाएं. मिर्च के पौध तैयार होने में कम से कम एक माह का समय लग जाता है.
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FIRST PUBLISHED :
October 23, 2024, 09:40 IST