Agency:News18 Bihar
Last Updated:February 03, 2025, 22:21 IST
जब किस्मत साथ छोड़ देती है, तो हौसलों की उड़ान ही सफलता का कारण बनती है. ऐसी ही कुछ जज्बे से भरी कहानी सारण जिले के दिव्यांग उदय कुमार की है. उदय ने कई ऊंचे पर्वत पर चढ़कर रिकॉर्ड बनाया है.
राष्ट्रपति से वार्ड लेने के बाद पहली बार पहुंचे सारण जिला, लोगों ने किया स्वागत
हाइलाइट्स
- उदय कुमार ने 16,500 फीट ऊंची रेनाक चोटी पर तिरंगा लहराया.
- उदय को राष्ट्रपति ने सम्मानित किया.
- उदय ने 91% दिव्यांगता के बावजूद पर्वतारोहण में सफलता पाई.
छपरा:- कहा जाता है कि जब संकट की घड़ी आती है, तो चारों तरफ से आती है. ऐसे वक्त पर समझदारी से काम नहीं लेने वाले व्यक्ति टूट जाते हैं और अपने लक्ष्य से चूक भी जाते हैं. लेकिन सारण के एक ऐसे लाल हैं, जिन्होंने ऐसे बुरे दिन को चुनौती देते हुए सफलता हासिल किया है. हम बात कर रहे हैं जिले के बनियापुर प्रखंड अंतर्गत बारोपुर गांव निवासी उदय कुमार की, जिनका एक पैर ट्रेन हादसे में कट गया है. लेकिन एक पैर गवाने के बावजूद भी उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी. उदय ने कई ऊंचे पर्वत पर चढ़कर रिकॉर्ड बनाया है. बताते चलें कि एक पैर के सहारे 91 प्रतिशत दिव्यांगता वाले उदय कुमार कंचनजंघा नेशनल पार्क स्थित रेनाक पहाड़ पर 16,500 फीट ऊंची चोटी पर चढ़कर तिरंगा लहरा चुके हैं.
यही नहीं, वो रेनाक की चोटी पर चढ़कर तिरंगा लहराने वाले भारत के पहला दिव्यांग व्यक्ति हैं. इस कारनामे को लेकर उदय कुमार को इसी 17 जनवरी कों राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित किया गया है. राष्ट्रपति से अवॉर्ड लेने के बाद पहली बार सारण की धरती पर उनका आगमन आज हुआ है. उनके आने की खबर सुनते ही छपरा जंक्शन पर दर्जनों लोगों ने पहुंचकर फूल, माला, अंग वस्त्र से जोरदार स्वागत किया.
कोच के अंदर पैर फिसला और ट्रेन के बाहर
लोकल 18 से उदय कुमार ने बताया कि राष्ट्रपति से अवॉर्ड लेने के बाद मैं पहली बार अपने जिला में आया हूं. जंक्शन पर उतरते ही स्थानीय लोगों ने मेरा जोरदार स्वागत किया है. मैंने सोचा भी नहीं था कि जिले के लोग मुझे बाहर रहते हुए भी इतना जानते हैं. इस तरह से मेरा स्वागत करेंगे, ये देखकर आज मैं काफी खुश हूं. घटना के संबंध में उन्होंने बताया कि घर की हालत को देखते हुए रोजगार की तलाश में कोलकाता जा रहे थे. इसी दौरान ट्रेन के बेसिंग के पास हाथ धोने के लिए पहुंचा, जहां पहले से पानी गिरा हुआ था. अचानक मेरा पैर फिसल गया और मैं सीधा ट्रेन से बाहर गिर गया. इसकी वजह से मुझे काफी गंभीर चोट आई. पैर में गंभीर जख्म को देखते हुए चिकित्सकों ने मेरे एक पैर को काट दिया.
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अधिकारियों ने बढ़ाया हौसला
मैं पूरी तरह से हिम्मत हार गया कि अब मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा. लेकिन कुछ अधिकारियों के संपर्क में आया और उन लोगों ने मेरा हौसला बढ़ाया. उसके बाद 5 किलो मैराथन से अपना संघर्ष स्टार्ट किया. उसके बाद मैं कई पर्वत को चढ़ चुका हूं. उन्होंने कहा कि चिकित्सकों के अनुसार, मैं 91 प्रतिशत दिव्यांग हूं. लेकिन मैं अपने आप को दिव्यांग नहीं मानता हूं. सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने वाला भारत के मैं पहला दिव्यांग व्यक्ति हूं, जिसने इतिहास रचने का काम किया है. ऐसा ही लोगों का प्यार स्नेह बना रहा, तो आने वाले दिन में और इतिहास रचने का काम करूंगा और सरण बिहार का नाम रौशन करते रहूंगा.
Location :
Chapra,Saran,Bihar
First Published :
February 03, 2025, 22:21 IST