परशुराम यादव.(ये भी घायल हुए थे).
गौरव झा/ नालंदा: नालंदा के छबीलापुर थाना अंतर्गत लोदीपुर गांव में 4 अगस्त 2021 को जमीनी विवाद में एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस वीभत्स घटना ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया. तीन साल बाद, दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है, लेकिन पीड़ित परिवार आज भी उस भयावह घटना को याद कर सिहर उठता है. उनका कहना है कि न्याय मिलने के बावजूद उनके जख्म कभी नहीं भर सकते.
घटना की पृष्ठभूमि
लोकल 18 की टीम इस जमीनी विवाद और नरसंहार की सच्चाई जानने के लिए लोदीपुर गांव पहुंची. पीड़ित परिवार के मुखिया परशुराम यादव, जो अब करीब 80 साल के हैं, ने बताया कि उनके पिता की दो शादियां हुई थीं. एक पक्ष से आरोपी और दूसरे पक्ष से पीड़ित परिवार आता है. उनके पिता के पास लगभग 50 बीघा जमीन थी, जिसका बंटवारा विवाद का मुख्य कारण बना.
परशुराम यादव बताते हैं कि आरोपी पक्ष ने बंटवारे में पीड़ित परिवार को उचित हिस्सा देने से मना कर दिया था. यह विवाद सालों से चला आ रहा था और 4 अगस्त 2021 को इसने हिंसक रूप ले लिया, जब परशुराम के बेटे शिवेंद्र ने देखा कि दूसरा पक्ष विवादित जमीन पर खेती कर रहा है. विरोध करने पर गोलीबारी हुई और परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई, जबकि चार घायल हो गए.
परिवार की दास्तान और मांगें
इस घटना में मारे गए शिवेंद्र यादव की पत्नी रिंकू देवी आज भी अपने पति की मौत के बाद के संघर्षों से जूझ रही हैं. उनके पांच बेटियां हैं और कोई बेटा नहीं. वह कहती हैं, “जिस जमीन के लिए हमारे परिवार को बर्बाद किया गया, वह अभी तक हमें नहीं मिली. हमें न्याय चाहिए और दोषियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए. साथ ही, जिला प्रशासन से हमारी जमीन लौटाने की मांग है.
परिवार के सभी सदस्य इस मांग को दोहराते हैं कि उन्हें उनका जायज जमीन का हिस्सा मिल जाए ताकि वे अपनी जिंदगी को फिर से शुरू कर सकें. इस घटना में दो बेटे, एक भतीजे और दो पोते को खोने वाली चांदो देवी भी गमगीन होकर कहती हैं, “जो हम पर बीता, वो किसी और पर न बीते.
आरोपी पक्ष की स्थिति
घटना के बाद से आरोपियों के घरों में ताले लगे हुए हैं. पीड़ित परिवार और आरोपियों के घरों के बीच बहुत कम दूरी है, लेकिन अब वहां सन्नाटा पसरा रहता है. गांव में इस घटना के बारे में बोलने से लोग डरते हैं, लेकिन कुछ स्थानीय लोग यह मानते हैं कि गांव में अब भी डर का माहौल बना हुआ है.
स्थिति और आगे की राह
गांव की स्थिति एक साधारण ग्रामीण क्षेत्र की तरह है, जहां बहुत अधिक सरकारी सुविधाएं नहीं हैं. सड़कें सामान्य हैं और लोग सामान्य बातचीत करते दिखते हैं. लेकिन पीड़ित परिवार का जीवन वैसा नहीं रहा जैसा 4 अगस्त 2021 से पहले था. जमीन के विवाद ने एक हंसते-खेलते परिवार को तबाह कर दिया है. अब यह देखना होगा कि जिला प्रशासन कब इन परिवारों को उनका हक सौंपता है, ताकि वे फिर से अपनी जिंदगी की नई शुरुआत कर सकें.
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FIRST PUBLISHED :
October 24, 2024, 18:53 IST