पंच कंकार
उदयपुर: जिले के प्रसिद्ध स्वर्ण शिल्पी और 100 विश्व रिकॉर्ड धारक डॉ. इक़बाल सक्का ने गुरु नानक जयंती के अवसर पर अपनी अनूठी कला के माध्यम से धार्मिक सौहार्द और विश्व एकता का संदेश दिया है. उन्होंने स्वर्ण मंदिर, अमृतसर में भेंट करने के लिए खालसा प्रतीक चिन्हों खंडा, कृपाण, कंधा और कड़ा को स्वर्ण से विशेष रूप से तैयार किया है. इन कलाकृतियों की विशेषता यह है कि ये मात्र 3 मिलीमीटर की हैं और उन्हें देखने के लिए लेंस का सहारा लेना पड़ता है.
विश्व रिकॉर्ड में शामिल हुईं सूक्ष्म कलाकृतियां
डॉ. सक्का ने इन प्रतीकों को न केवल सूक्ष्म रूप में बनाया है, बल्कि उन्हें तिरंगे रंगों के समन्वय में सजाया, जो राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है. उनकी इस कृति ने एक और विश्व रिकॉर्ड कायम किया है. उन्होंने इन कलाकृतियों को स्वर्ण मंदिर में समर्पित करने के लिए श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुवीर सिंह को पत्र लिखा. गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब अमृतसर की कमेटी के सदस्य मंगल सिंह ने फोन पर सूचित किया कि इस उपहार पर विचार किया जाएगा और जल्द ही निर्णय की जानकारी दी जाएगी.
धार्मिक और सांस्कृतिक एकता के प्रति समर्पण
डॉ. सक्का के कला कौशल और धार्मिक एकता के प्रति समर्पण को उनके पिछले कार्यों में भी देखा गया है. उन्होंने राम मंदिर और मस्जिद अयोध्या के लिए स्वर्ण कलाकृतियां जैसे राम के खड़ाऊ, ‘राम’ लिखी हुई ईंट, मस्जिद के लिए घंटा, वजू का लोटा और ‘अल्लाह’ लिखी ईंट बनाई. इसके अलावा उन्होंने इसाई धर्म के लिए क्रॉस, कृष्ण झूला, शिवलिंग, डमरु, त्रिशूल और शिव चिमटा जैसी अद्वितीय कृतियां भी तैयार कीं.
धार्मिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक
डॉ. सक्का का यह नवीनतम प्रयास उनके कला कौशल का प्रमाण होने के साथ-साथ धार्मिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता का भी संदेश देता है. उनकी सूक्ष्म और सटीक कलाकृतियां विभिन्न धार्मिक परंपराओं के प्रति सम्मान और भारतीय संस्कृति की विविधता का प्रतीक हैं. यह प्रयास न केवल कला प्रेमियों बल्कि हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
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FIRST PUBLISHED :
November 15, 2024, 17:14 IST