इस गांव में रहते थे युवक
Deepak Meena Suicide Case: दौसा: जवान लड़के को खोने का दुःख अथाह सागर की तरह होता है. और जब कोई युवा पढाई या नौकरी के लिए घर से बाहर निकलता है तो घर वालों की निगाहें हमेशा उनसे इंतज़ार में रहती है. ऐसी ही एक घटना बिहार के दौसा निवासी चांदूलाल के साथ हुआ है. कलेक्टर बनने की चाह लेकर उनका बेटा घर से निकला लेकिन जिन्दा वापस नहीं आया. दरअसल दौसा जिले के महुवा तहसील के गांव बड़ीन कमालपुरा के दीपक मीना ने 9 जुलाई को यूपीएससी मेंस की तैयारी करने के लिए दिल्ली के मुखर्जी नगर में स्थित दृष्टि कोचिंग सेंटर में एडमिशन लिया. इस दौरान कोचिंग संचालक की ओर से ही दीपक को पीजी में रूम दिया गया लेकिन 11 सितंबर को दीपक रूम से अचानक गायब हो गया. इस दौरान दीपक के पिता चांदूलाल मीना लगातार उसे फोन करते रहे. लेकिन दीपक ने फोन नहीं उठाया.
वहीं 13 सितंबर की सुबह 9 बजे दीपक का फोन स्विच ऑफ हो गया. जिससे परिजनों को दीपक की चिंता सताने लगी और दीपक पिता 14 सितंबर दीपक को तलाशने के लिए दिल्ली पहुंच गए. जहां पहुंचकर उन्हें पता चला कि दीपक 11 सितंबर को सुबह से रूम पर नहीं आया. इसके बाद पिता चंदूलाल ने स्थानीय थाना पुलिस को दीपक के लापता होने के बारे में बताया. ऐसे में तलाशी के दौरान 20 सितंबर को दीपक का शव जंगलों में एक पेड़ से लटका मिला. इस मामले में परिजनों का आरोप है कि दीपक कभी सुसाइड नहीं कर सकता, उसकी किसी ने हत्या कर मामले को सुसाइड का रूप देने की कोशिश की है.
दीपक के पिता की दर्दभरी दास्तां
मृतक दीपक मीना के पिता ने लोकल 18 से को बताया कि दीपक को जयपुर में अपनी बहन रवीना मीना के साथ रहकर एसएससी की तैयारी करता था. लेकिन उसका मन आईएएस बनने का था, इसलिए एसएससी प्री पास करने के बाद भी दीपक ने एसएससी की पढ़ाई बीच में छोड़कर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. इस दौरान जयपुर में ही रहकर दीपक ने 1 जुलाई को यूपीएससी प्री क्लियर कर लिया. वहीं कुछ दिन घर रहने के बाद यूपीएससी मेंस की तैयारी करने के लिए चदूलाल ने दीपक का एडमिशन दिल्ली की दृष्टि कोचिंग में करवा दिया. जहां कोचिंग की ओर से ही दीपक को रूम दिया गया. जिसमें उसके साथ दो और सहपाठी रहते थे.
11 जुलाई से फोन नहीं उठा रहा था दीपक
चांदूलाल मीना ने बताया कि कोचिंग के दौरान दीपक से रोज शाम को साढ़े 8 से 9 बजे के बीच फोन पर बात होती थी. लेकिन कभी दीपक ने किसी परेशानी के बारे में नहीं बताया. अगर उसे किसी प्रकार की परेशानी होती तो हम उसे दिल्ली भेजते ही नहीं. वहीं दीपक से अंतिम बार फोन पर बात 10 सितंबर की शाम को साढ़े 8 बजे हुई थी इसके बाद 11 जुलाई को जब दीपक को फोन किया तो उसने फोन नहीं उठाया. लगातार फोन पर संपर्क करने के बाद भी दीपक ने फोन नहीं उठाया तो हमें उसकी चिंता होने लगी. इसी बीच 13 सितंबर को सुबह 9 बजे जब दीपक के फोन पर संपर्क किया तो उसका फोन बंद मिला. इसके बाद मैं दिल्ली पहुंचा. जहां हमें पता चला कि दीपक 11 सितंबर की सुबह से ही रूम पर नहीं आया.
मोची के पास चप्पल ठीक कराने की बात कहकर निकला
मृतक दीपक के पिता चांदूलाल ने बताया कि जब दीपक के लापता होने के बारे में दीपक के साथ रहने वाले सहपाठियों से बात की तो, उन्होंने बताया कि दीपक 11 सितंबर की सुबह मोची के पास चप्पल ठीक कराने की बात कहकर रूम से निकला था. इस दौरान दीपक के पिता ने 14 सितंबर को नजदीकी थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज करवाई. इस दौरान छानबीन में दीपक का शव जंगल में पेड़ से लटका हुआ क्षत-विक्षत हालत में मिला. शव पर शर्ट पड़ी हुई मिली और बैग में चादर भी मिली थी लेकिन वह उसके नहीं थे.
पिता का आरोप हत्या कर पेड़ से लटकाया शव
दीपक के पिता का कहना है कि शव मिलने के मामले में पुलिस जांच में जुटी है. लेकिन मेरा बेटा कभी सुसाइड नहीं कर सकता. किसी ने मेरे बेटे की हत्या कर, मामले को सुसाइड का रूप देने के लिए बेटे का शव पेड़ पर लटकाया है. ऐसे में मेरी मांग है कि राजस्थान सरकार और दिल्ली पुलिस मामले में संज्ञान लेकर बेटे की हत्या का जल्द खुलासा करें.
मां से कहता, नौकरी लगने के बाद सोने के पालने में झुलाऊंगा
दीपक के पिता ने बताया कि दीपक परिवार में 2 बहन और 3 भाइयों में सबसे छोटा था. जिसके चलते सभी का लाडला था. वहीं 2003 में दीपावली के दिन जन्म होने के कारण उसका नाम दीपक रखा था. साथ ही आईएएस प्री क्लियर करने के बाद गांव में भी सबका लाडला था. ऐसे में दीपक शुरू से ही अपनी मां से कहता था कि, मैं ऐसी नौकरी की तैयारी कर रहा हूं, जिससे परिवार और पूरे गांव का नाम ऊंचा होगा. वहीं नौकरी लगने के बाद मां को सोने के झूले में झुलाऊंगा. लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था, और दीपावली से एक माह पहले दीपक हमेशा के लिए बुझ गया. जिसके कारण दीपक की मां बार- बार अपने बेटे को याद कर बेहोश हो जाती है. जिसके चलते डॉक्टरों द्वारा लगातार उनका घर पर ही उपचार किया जा रहा है.
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FIRST PUBLISHED :
September 25, 2024, 15:49 IST