धनबाद. झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) ने दिवाली, छठ पूजा, क्रिसमस और नववर्ष के अवसरों पर आतिशबाजी के लिए समय-सीमा तय की है. बोर्ड के इस फैसले का उद्देश्य प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करना है, जो त्योहारों के दौरान अधिक बढ़ जाता है. इस फैसले के तहत दीपावली और छठ पूजा पर पटाखे चलाने के लिए सीमित समय निर्धारित किया गया है ताकि पर्यावरण और जनजीवन पर इसका नकारात्मक प्रभाव कम हो.
दीपावली और छठ पूजा के लिए समय-सीमा
जेएसपीसीबी की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, दीपावली के दौरान आतिशबाजी के लिए केवल रात 8 बजे से 10 बजे तक का समय तय किया गया है. पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि दीपावली के मौके पर लोग देर रात तक पटाखे जलाते हैं, जिससे न केवल प्रदूषण बढ़ता है, बल्कि ध्वनि प्रदूषण भी कई गुना बढ़ जाता है. इस बार प्रशासन ने सख्ती से निर्देश जारी किया है कि केवल रात 8 से 10 बजे तक ही आतिशबाजी की अनुमति होगी.
छठ पूजा के समय भी अर्घ्य के दौरान सुबह 6 से 8 बजे तक ही आतिशबाजी की जा सकेगी. छठ पूजा झारखंड और बिहार का प्रमुख त्योहार है, जिसमें सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सुबह-सुबह घाटों पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस दौरान प्रशासन ने समय-सीमा निर्धारित कर लोगों से अपील की है कि वे नियमों का पालन करें और अनावश्यक प्रदूषण से बचें.
क्रिसमस और नववर्ष पर आतिशबाजी की सीमा
दीपावली और छठ पूजा के अलावा, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने क्रिसमस और नववर्ष के जश्न के दौरान भी आतिशबाजी के लिए 35 मिनट की समय-सीमा तय की है. इन त्योहारों पर आतिशबाजी का दौर अक्सर रातभर चलता रहता था, जिससे वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता था. इस बार प्रशासन ने इन त्योहारों के दौरान भी सख्त कदम उठाते हुए तय किया है कि 35 मिनट के अंदर ही आतिशबाजी पूरी की जानी चाहिए.
125 डेसिबल से अधिक शोर वाले पटाखों पर प्रतिबंध
प्रशासन ने पटाखों के शोर स्तर पर भी सख्त नियम बनाए हैं. निर्देशों के अनुसार, 125 डेसिबल से अधिक ध्वनि उत्पन्न करने वाले पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है. यह कदम उन लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, जिन्हें ध्वनि प्रदूषण से समस्या होती है, जैसे बुजुर्ग, छोटे बच्चे और बीमार लोग.
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FIRST PUBLISHED :
October 19, 2024, 19:29 IST