दुधारू पशु के इलाज का उपाय
Dairy Animal Treatment: उत्तराखंड को देवी-देवताओं का निवास स्थान कहा जाता है. बहुत कम लोग जानते हैं कि यहां के लोगों के एक पशुपालक देवता भी हैं. इनका नाम है छुरमल देवता. दुधारू जानवरों की रक्षा के लिए इनकी पूजा की जाती है. मान्यता है कि यह पशुओं की सभी बीमारियों की नष्ट करते हैं. दुधारू पशुओं के बीमार होने पर पहाड़ के लोग आज भी छुरमल देवता से मदद की गुहार लगाते हैं.
दुधारू पशु के इलाज के लिए इन देवता है होती है पूजा
लोकल 18 से बातचीत करते हुए सेवानिवृत्त प्रवक्ता मोहन चंदोला बताते हैं कि जब भी दुधारू पशु बीमार होते हैं. तब पशुपालक अपनी समस्या को लेकर छुरमल देवता के मंदिर में जाते हैं. वहां जाकर देवता से पशु की बीमारी ठीक करने की मांग करते हैं और बदले में छुरमल देवता को दुधारू जानवर का नवदूध चढ़ाने का वादा करते हैं. साथ ही मंदिर में कथा करने का प्रण करते हैं. सच्चे मन से मांग करने पर छुरमल देवता दुधारू जानवर की बीमारी को चुटकियों में ठीक कर देते हैं.
सालों से चली आ रही है परंपरा
पहाड़ में पौराणिक काल से ही छुरमल देवता को पूजने की परंपरा चली आ रही है. पुराने जमाने में लोगों के पास पशु अस्पतालों की सुविधा नहीं होती थी. ऐसे में पहाड़ में जब भी दुधारू जानवर बीमार होने था या फिर उसे किसी प्रकार का रोग लग जाता था, तब पशुपालक छुरमल देवता से दुधारू पशु की बीमारी ठीक करने की अपील करते थे.
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छुरमल देवता को पूजने का अनोखा तरीका
छुरलम देवता को पूजने के लिए पहाड़ में एक खास तरीका अपनाया जाता है. मान्यता है कि दुधारू जानवर का नवदूध चढ़ाने से देवता खुश होते हैं. पहाड़ के अधिकांश लोग इस मान्यता का पालन करते हैं. जब भी दुधारू जानवर बच्चे को जन्म देता है, तब नवदूध पहले देवता को चढ़ाया जाता है. बाद में पशुपालन दूध का उपयोग करता है.
छुरमल देवता का भोग
मुख्य रूप से छुरमल देवता को नवदूध का भोग लगता है. इसके अलावा देवता को हलवा-पूरी का भी भोग लगाया जाता है. नव अनाज होने पर पहाड़ के लोग उसका भी मंदिर में भोग लगाते हैं. प्रत्येक गांव में छुरमल देवता का एक सामूहिक मंदिर होता है. जिनको दुधारू जानवरों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए पूजा जाता है. और वास्तव में दुधारू जानवरों की सभी बीमारियां देवता चुटकियों में गायब कर देते हैं.
नोट – इस आर्टिकल में दी गई जानकारी लोकल लोगों की मान्यता के आधार पर लिखी गई है.
Tags: Agriculture, Local18
FIRST PUBLISHED :
October 24, 2024, 10:31 IST