चकावरा गाँव मे किसान करते हैं फूल गोभी की खेती
राजकुमार सिंह/ वैशाली: जिले का चकवारा गांव, जो हाजीपुर जिला मुख्यालय से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, अपनी फूलगोभी की खेती के लिए प्रसिद्ध है. यहां के किसान 100 वर्षों से अधिक समय से फूलगोभी की खेती कर रहे हैं, जो अब इस गांव की पहचान बन चुकी है.
फूलगोभी की खेती पर निर्भर गांव
चकवारा गांव की आबादी 3000 से अधिक है और यहां के 75 प्रतिशत से अधिक किसान फूलगोभी की खेती और बीज उत्पादन में लगे हुए हैं. सालभर यहां के किसान फूलगोभी की खेती करते हैं, जिसकी शुरुआत जुलाई महीने में होती है. पौधे लगाने के लगभग 50 दिन बाद खेतों में फूलगोभी तैयार हो जाती है. वैशाली के बाजारों में इस गांव की फूलगोभी की भारी मांग रहती है, और स्थानीय किसान इससे अच्छी कमाई करते हैं.
आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल
गांव के युवा भी पढ़ाई के साथ-साथ खेती में दिलचस्पी रखते हैं. अधिकांश युवा एग्रीकल्चर से संबंधित पढ़ाई करते हैं और नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल कर फूलगोभी की खेती और बीज उत्पादन को सालभर जारी रखते हैं. गांव के किसान राकेश कुमार बताते हैं, “हमारे पूर्वजों से ही फूलगोभी की खेती होती आ रही है. हमने 4 एकड़ में फूलगोभी की खेती की है और इससे अच्छी खासी कमाई होती है. कभी-कभी मौसम के कारण नुकसान भी होता है, लेकिन कमाई अधिक होती है.
गांव की आत्मनिर्भरता
इस गांव के किसान न केवल फूलगोभी की खेती करते हैं, बल्कि इसका बीज भी तैयार करते हैं. किसान सुरेश सिंह बताते हैं, “फूलगोभी की खेती हमारे पूर्वजों के समय से हो रही है और अब हम इसे आगे बढ़ा रहे हैं. खेती के साथ-साथ हम लोग फूलगोभी के बीज भी तैयार करते हैं, जिससे हमें और भी लाभ होता है.
स्थानीय मंडियों में फूलगोभी की धूम
चकवारा गांव की फूलगोभी स्थानीय मंडियों में बेची जाती है और यहां के किसानों की सालाना कमाई पांच लाख रुपए से कम नहीं होती है. यहां के किसान पूरी तरह से फूलगोभी की खेती पर निर्भर हैं और इससे आत्मनिर्भरता हासिल कर रहे हैं. नौकरी की दौड़ से दूर, इस गाँव के युवा भी खेती में रुचि लेते हैं और अपने पूर्वजों की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. चकवारा गांव न केवल अपने फूलगोभी के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी खेती की परंपरा और आर्थिक आत्मनिर्भरता की मिसाल भी पेश करता है.
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FIRST PUBLISHED :
October 24, 2024, 12:44 IST