दुनिया की वो सबसे ठंडी जगह जहां माइनस 50 डिग्री में भी बच्चे जाते हैं स्कूल

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Last Updated:January 21, 2025, 19:19 IST

Coldest Inhabited Place connected Earth: रूस के ओम्याकॉन कस्बे में ठंड के समय औसत तापमान -50 डिग्री सेल्सियस रहता है. यहां बच्चे तब तक स्कूल जाते हैं जब तक तापमान -52 डिग्री नहीं हो जाता है. लोग मीट खाते हैं और गाड़िय...और पढ़ें

दुनिया की वो सबसे ठंडी जगह जहां माइनस 50 डिग्री में भी बच्चे जाते हैं स्कूल

इतने कड़ाके की ठंड के बावजूद ओम्याकॉन शहर में करीब 500 लोग रहते हैं.

हाइलाइट्स

  • रूस का ओम्याकॉन दुनिया का सबसे ठंडा रिहायशी इलाका है
  • ठंड में इस जगह का औसत तापमान -50 डिग्री सेल्सियस रहता है
  • कमाल की बात ये है कि -52 डिग्री तक यहां स्कूल खुला रहता है

Coldest Inhabited Place connected Earth: उत्तरी भारत में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है. दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर सुबह कोहरा छाया रहता है. यहां जब तापमान तीन-चार डिग्री तक पहुंचता है तो माना जाता है कि ठंड अब अपने चरम पर है. हालांकि उत्तरी भारत के पहाड़ी इलाकों में स्थिति अलग होती है. यहां तापमान माइनस में जाने के बाद जोरदार बर्फबारी होती रहती है. लेकिन दुनिया में कुछ जगहें ऐसी भी है, जहां हमेशा कड़ाके की ठंड रहती है. उन्हीं में एक ऐसी जगह भी हैं जहां सर्दियों में कई बार तापमान -60 डिग्री तक चला जाता है. हम बात कर रहे हैं दुनिया के सबसे ठंडे रिहायशी इलाके रूस (Russia) के ओम्याकॉन कस्बे की. 

रूसी भाषा में ओम्याकॉन का मतलब होता है, वो जो कभी न जमे. लेकिन नाम के एकदम उलट ओम्याकॉन लगभग हर मौसम में जमा रहता है. रूस के ओम्याकॉन कस्बे में सर्दी के मौसम में औसत तापमान -50 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रहता है. हालांकि इतने कड़ाके की ठंड के बावजूद इस शहर में करीब 500 लोग रहते हैं. सर्दियों के मौसम में यहां पलकों पर बर्फ जम जाती है. यहां लोग अपनी गाड़ियों को 24 घंटे चालू रखते हैं. क्योंकि एक बार बंद हो जाने के बाद उनका इंजन स्टार्ट नहीं होगा. यहां कई बार बाहर निकलने पर आंसू आ जाते हैं और ठंड के कारण वो जम भी जाते हैं. 

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केवल मीट खाते हैं यहां के लोग
इस शहर में रहने वाले लोगों को बहुत सारे ऐसे बदलावों का सामना करना पड़ता है, जिसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. कैपिटल सिटी याकुत्स्क से इस शहर को दुनिया का सबसे ठंडा इनहैबिटेड एरिया माना जाता है. यहां रहने वालों लोगों के खाने से लेकर रहने के तरीके तक सब खास हैं. इतनी सर्दी के चलते यहां के बाशिंदे जिंदा रहने के लिए सिर्फ मीट खाते हैं. वो भी रेंडियर और घोड़े का. रेंडियर के मांस के अलावा यहां फ्रोजन मांस की वैरायटी भी मिलती है. जिसमें मछली से लेकर कबूतर भी मिल जाएगा. यहां के लोग जिंदा रहने के लिए हर वो चीज खाते हैं जिससे इन्हें गर्मी मिले. यहां फ्रिज की कोई जरूरत नहीं रहती. लोग खुले में ही आइसक्रीम और मांस-मछली रखते हैं जो महीनों तक फ्रेश रहती हैं.

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-50 डिग्री में खुलता है स्कूल
इस शहर में बच्चों का एक स्कूल भी है. इस जगह का औसत तापमान -50 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रहता है. इतने कम तापमान के बावजूद ये स्कूल तब तक चलता है जब तक टेम्प्रेचर -52 डिग्री सेल्सियस नहीं पहुंच जाता. यहां ठंड का आलम ये है कि सर्दियों में यहां कसरत करने तक की मनाही होती है. क्योंकि इतनी ठंड में पसीना बहने से मौत भी हो सकती है. 

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दिन में केवल 3 घंटे रहती है रोशनी
सर्दी के मौसम में यहां दिन में मुश्किल से सिर्फ तीन घंटे रोशनी मिलती है. बाकी के वक्त अंधेरा छाया रहता है. हालांकि गर्मी के मौसम में दिन के 21 घंटे रोशनी रहती है और सिर्फ तीन घंटों के लिए ही रात होती है. साइबेरिया के यकुत्सा इलाके के पास बसा यह कस्बा दुनियाभर के लोगों के लिए हमेशा रिसर्च का विषय रहता है. लोग सोचते हैं कि इतनी ठंड में लोग कैसे रहते होंगे, क्या खाते होंगे, क्या सोचते होंगे. इस जगह को लेकर तरह-तरह के खयाल लोगों के मन में आते रहते हैं. साल 2015 में न्यूजीलैंड से कुछ फोटोग्राफरों की टीम यहां पहुंची. वो ठंड के कारण लंबे समय तक होटलों से बाहर नहीं निकले. 

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गर्मियों में रहता है -10 डिग्री तापमान
सबसे मजेदार तो ये है कि ठंड की वजह से यहां पेन की इंक से लेकर गिलास में पीने के पानी तक सब कुछ जम जाता है. यहां आज तक मोबाइल फोन सर्विस शुरू ही नहीं हो सकी है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यहां का तापमान -60 डिग्री सेल्सियस के भी नीचे चला जाता है. 1933 में यहां पारा -67 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. जो इस स्थान पर मापा गया न्यूनतम तापमान है. ओम्याकॉन में गर्मियों में भी तापमान -10 डिग्री रहता है.

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कैसे चलती है आजीविका?
सबसे बड़ा सवाल उठता है कि यहां के लोग अपना जीवन जीने के लिए क्या काम करते हैं. तो आपको बता दें कि यहां लोग आइस फिशरमैन का काम करते हैं. पास में ही लीना नदी है. जहां वो बर्फ से मछलियों को पकड़कर पास के याकुत्स्क शहर में ले जाकर बेच देते हैं. इसके अलावा यहां के लोग घोड़े और रेंडियर का मांस बेचकर भी पैसा कमाते हैं. साथ ही यहां के लोगों कि असली आमदनी पर्यटकों से होती है. साल 2011 से ‘पोल ऑफ द कोल्ड’ त्योहार याकुत्स्क शहर में मनाया जा रहा है. ओम्याकॉन के कल्चरल ग्रुप याकुत्स्क जाकर कमाई करते हैं.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

January 21, 2025, 19:19 IST

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