गोड्डा
अदित्य आनंद/गोड्डा: गोड्डा जिले में दुर्गा पूजा के समय बालुशाही मिठाई की विशेष मांग होती है.यह मिठाई नवरात्र के दौरान खासतौर पर बनाई जाती है और भक्तों के बीच बेहद लोकप्रिय है.बालुशाही को स्थानीय रूप से “टिकरी” भी कहा जाता है.गोड्डा के महागामा क्षेत्र में यह मिठाई दुर्गा पूजा के मौके पर रिश्तेदारों को उपहार स्वरूप देने की पुरानी परंपरा है.इसके खस्तापन और हल्की मिठास के कारण यह मिठाई वर्षों से लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाए हुए है.
बालुशाही की विशेष मांग
नवरात्रि के समय, गोड्डा जिले में बालुशाही की बिक्री में भारी इजाफा होता है.महागामा के उर्जा नगर मेला में बालुशाही की विशेष दुकानें लगती हैं.इस मिठाई की लोकप्रियता इतनी ज्यादा है कि एक दिन में 2 से 3 क्विंटल तक बालुशाही बिक जाती है.गोड्डा के मशहूर मिठाई कारीगर रिंकू मंडल, जो बिहार से आकर यहां दुर्गा पूजा के मेले में दुकान लगाते हैं, ने बताया कि बालुशाही की कीमत 120 रुपये प्रति किलो होती है और इसकी मांग हर साल दुर्गा पूजा के दौरान बढ़ जाती है।
बालुशाही बनाने की रोचक विधि
बालुशाही (टिकरी) बनाने की प्रक्रिया काफी दिलचस्प है.इसे तैयार करने के लिए मैदा, सेल्टोस, और पका हुआ तेल मिलाकर गूंथा जाता है.फिर इसे आधे घंटे तक खुली हवा में रखा जाता है ताकि इसका खस्ता टेक्सचर बरकरार रहे.इसके बाद छोटे-छोटे आकार में ढालकर बालुशाही को गरम तेल में तला जाता है.तली हुई बालुशाही को मीठी चासनी में डालकर ग्राहकों के सामने पेश किया जाता है.इसकी खास बात यह है कि बालुशाही का खस्तापन और इसकी हल्की मिठास इसे अनोखा बनाती है.
वर्षों पुरानी परंपरा
महागामा के स्थानीय निवासी सौरभ कुमार ने बताया कि दुर्गा पूजा के समय बालुशाही न सिर्फ मिठाई के रूप में पसंद की जाती है, बल्कि यह रिश्तेदारों को उपहार स्वरूप देने की भी पुरानी परंपरा है.पूजा के बाद जब लोग अपने-अपने कार्यस्थलों पर लौटते हैं, तो वे गोड्डा से 2 से 5 किलो तक बालुशाही स्टॉक करके ले जाते हैं.इसकी लोकप्रियता इतनी है कि दुर्गा पूजा के बाद भी इस मिठाई की मांग बनी रहती है.
बालुशाही की लोकप्रियता और स्थानीय संस्कृति
गोड्डा में दुर्गा पूजा के समय बालुशाही की बिक्री जिले की अर्थव्यवस्था का भी अहम हिस्सा बन जाती है.महागामा के उर्जा नगर मेला में हर साल बड़ी संख्या में लोग बालुशाही खरीदने के लिए पहुंचते हैं.इस मिठाई की खासियत यह है कि इसे पारंपरिक तरीके से बनाया जाता है, जो इसकी गुणवत्ता और स्वाद को बरकरार रखता है.
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FIRST PUBLISHED :
October 6, 2024, 13:45 IST