गाय और बछड़े की तस्वीर
बोकारो चास पेट क्लिनिक के पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने कृत्रिम गर्भाधान के महत्व पर चर्चा करते हुए बताया कि ...अधिक पढ़ें
- News18 Jharkhand
- Last Updated : October 6, 2024, 15:45 IST
आज के दौर में पशुओं की उन्नत नस्ल और बेहतर दूध उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान एक प्रभावी और महत्वपूर्ण प्रक्रिया बन गई है. इस प्रक्रिया के माध्यम से पशुपालक स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता वाली नस्लों का उत्पादन कर सकते हैं.
बोकारो चास पेट क्लिनिक के पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने कृत्रिम गर्भाधान के महत्व पर चर्चा करते हुए बताया कि यह तकनीक उन स्थितियों में भी कारगर होती है. जब उन्नत नस्ल के नर पशु या बैल उपलब्ध नहीं होते है. इस प्रक्रिया में स्वस्थ नर पशु के वीर्य का चयन करके गायों में कृत्रिम रूप से गर्भाधान किया जाता है. जिससे बेहतर नस्ल की संतानें पैदा की जा सकती हैं.
कृत्रिम गर्भाधान के लाभ
प्रजनन में आसानी: जब गाय या भैंस गर्मी में होती है, तो सांढ़ की जरूरत नहीं होती है. पशुपालक अपने नजदीकी पशु चिकित्सक से सलाह लेकर उन्नत नस्ल के गुणवत्ता युक्त वीर्य का उपयोग कर सकते हैं. प्राकृतिक गर्भाधान में एक सांढ़ सालभर में केवल 50-100 गायों को गर्भित कर सकता है. जबकि कृत्रिम गर्भाधान से यह संख्या 1000 तक पहुंच जाती है.
बीमारियों से सुरक्षा: कृत्रिम गर्भाधान से पशुओं में फैलने वाली प्रजनन संबंधी बीमारियों को रोका जा सकता है, जो स्वाभाविक गर्भाधान में एक चुनौती हो सकती है.
उत्पादन क्षमता में वृद्धि: उन्नत नस्ल से पैदा होने वाली गायों की दूध उत्पादन क्षमता अधिक होती है। गिर, हरियाणा, साहिवाल, राठी, रेड सिंधी और थारपारकर जैसी भारतीय नस्लों में कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से दूध उत्पादन बढ़ाया जा सकता है, जिससे पशुपालकों को आर्थिक लाभ होता है.
कम खर्च में बेहतर परिणाम: कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया प्राकृतिक गर्भाधान की तुलना में अधिक सटीक और सफल होती है. जिससे बार-बार गर्भाधान की आवश्यकता नहीं होती और खर्च भी कम आता है.
कृत्रिम गर्भाधान के लिए सावधानियां:
गर्मी के लक्षण पहचानें: पशु में गर्भाधान से पहले गर्मी के लक्षण पहचानना जरूरी है, जैसे बार-बार पूछ उठाना, प्रजनन अंगों में सूजन और गुलाबी रंग का होना. अन्य पशुओं को सूंघना और उन पर चढ़ना. इन लक्षणों के 10-12 घंटे बाद कृत्रिम गर्भाधान करना चाहिए.
गर्भ परीक्षण: गर्भधारण के 90 दिन बाद पशु चिकित्सक से गर्भ परीक्षण अवश्य कराएं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि गर्भ स्वस्थ है.
स्वास्थ्य जांच: कृत्रिम गर्भाधान से पहले पशु की एक बार स्वास्थ्य जांच जरूर कराएं. इससे पशु की स्वास्थ्य समस्याओं का समय रहते पता लग सकेगा और सुरक्षित गर्भाधान किया जा सकेगा.
पशुपालन विभाग द्वारा है यह सेवा निशुल्क
डॉ. कुमार ने बताया कि पशुपालन विभाग द्वारा यह सेवा निशुल्क प्रदान की जा रही है. जिसका लाभ पशुपालक आसानी से उठा सकते हैं. कृत्रिम गर्भाधान न केवल उत्पादन बढ़ाने का माध्यम है. बल्कि पशुपालकों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बनाने का जरिया है.
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FIRST PUBLISHED :
October 6, 2024, 15:45 IST