सिरोही: जिले के एक आदिवासी गांव की महिला थावरी बाई को देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आदि सेवा सम्मान पुरस्कार से नवाजा है. जिले के देलदर तहसील के निचलागढ़ गांव की रहने वाली थावरी बाई आदिवासी महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं. थावरी बाई ने अपने गांव समेत क्षेत्र में पहली महिला सोलर इंजीनियर के रूप में पहचान बनाई है.
सोलर ऊर्जा में उल्लेखनीय योगदान
थावरी बाई ने बिंदी इंटरनेशनल एनजीओ के सहयोग से अपने गांव से निकलकर सोलर उपकरणों का प्रशिक्षण लिया और अपने गांव लौटकर दुर्गम इलाकों में अब तक 450 बिजली से वंचित परिवारों को सोलर लाइट से रोशन किया है. गांव में थावरी बाई न केवल सोलर लाइट लगाने का कार्य करती हैं, बल्कि अन्य महिलाओं को भी इस कार्य का प्रशिक्षण दे रही हैं. महिलाओं के साथ मिलकर वे घरों की सोलर लाइट्स की मरम्मत और रखरखाव का काम भी करती हैं. इस कार्य के लिए रॉयल राजस्थान फाउंडेशन का भी सहयोग मिल रहा है, जिससे जिले के आदिवासी बहुल क्षेत्र में सोलर ऊर्जा पर कार्य किया जा रहा है.
आदि सेवा सम्मान पुरस्कार
बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम में आयोजित आदि गौरव सम्मान समारोह में देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और राज्यपाल हरिभाउ बागड़े ने थावरी बाई द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्य के लिए आदि सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया. इस कार्यक्रम में जिले से सम्मानित होकर थावरी बाई ने पूरे प्रदेश में अपना और जिले का नाम रोशन किया.
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लोकसभा स्वीप कार्यक्रम की ब्रांड एम्बेसडर
हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में निचलागढ़ की थावरी बाई को जिले के स्वीप कार्यक्रम का ब्रांड एम्बेसडर के रूप में भी चुना गया था. अपने अटल संकल्प और समाज सेवा के जरिए थावरी बाई आदिवासी समाज में एक प्रेरणा बन चुकी हैं. आज भी जिले के कई दुर्गम गांवों में बिजली के पोल नहीं पहुंच पाने से बिजली नहीं पहुंच पाती है. ऐसे में इन स्थानों पर सौर ऊर्जा एकमात्र विकल्प है. थावरी बाई से प्रेरित होकर कई महिलाएं सोलर उपकरणों का प्रशिक्षण भी ले रही हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 6, 2024, 17:49 IST