Agency:Local18
Last Updated:January 24, 2025, 23:59 IST
Animal husbandry: दामनगर के प्रदीप परमार ने स्नातक के बाद गिर नस्ल की गायों से पशुपालन शुरू किया. उनकी गाय प्रतिदिन 15 लीटर दूध देती है, जिससे वह 30-40 हजार रुपये मासिक कमाते हैं.
ग्रामीण भारत में किसान अब सिर्फ खेती तक सीमित नहीं रहे हैं. वे पशुपालन के जरिए भी अपनी आय को बढ़ा रहे हैं. खासतौर पर अच्छी नस्ल की गायें और भैंसें ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई हैं. इन पशुओं की अच्छी नस्लें न केवल अधिक दूध देती हैं बल्कि बाजार में इनकी कीमत भी काफी ऊँची होती है.
गिर नस्ल की गाय बनी आय का स्रोत
दामनगर के युवा चरवाहे प्रदीप परमार की कहानी प्रेरणादायक है. उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद पशुपालन को अपना व्यवसाय बना लिया. उनके पास गिर नस्ल की कई गायें हैं, जो अपनी गुणवत्ता और दूध उत्पादन क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं. इनमें से एक गाय की कीमत 1.10 लाख रुपये है, जो उनकी मेहनत और समझदारी का प्रमाण है.
हर दिन 15 लीटर दूध का उत्पादन
प्रदीप परमार की गिर गाय प्रतिदिन 15 लीटर दूध देती है. इस दूध की बाजार में काफी माँग है, जहाँ प्रति लीटर दूध का मूल्य 70 से 100 रुपये तक होता है. ऐसे में, प्रदीप प्रतिदिन 1,000 से 1,500 रुपये की आय अर्जित करते हैं. उनकी मासिक कमाई 30,000 से 40,000 रुपये तक पहुँच जाती है. यह आय ग्रामीण भारत में आर्थिक स्वावलंबन की नई तस्वीर पेश करती है.
घी से भी हो रही अतिरिक्त कमाई
गाय के दूध से घी बनाने का काम भी प्रदीप परमार बखूबी कर रहे हैं. स्थानीय और शहरी बाजारों में उनके घी की अच्छी माँग है. इस घी की बिक्री से उन्हें अतिरिक्त आमदनी हो रही है. यह दिखाता है कि सही दृष्टिकोण और मेहनत से कैसे पशुपालन को एक लाभदायक व्यवसाय बनाया जा सकता है.
युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा
प्रदीप परमार जैसे युवा चरवाहे अन्य ग्रामीण युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं. उनकी सफलता यह बताती है कि किस तरह पशुपालन और आधुनिक तकनीक के तालमेल से न केवल आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है, बल्कि ग्रामीण विकास में भी तेजी लाई जा सकती है.
First Published :
January 24, 2025, 23:59 IST
दूध और घी से बना दिया करोड़ों का व्यवसाय, गिर गाय से बदल दी जिंदगी