गोपालगंज. मानसून के बाद मौसम तल्ख हो गया है. तीखी धूप के कारण जमीन की नमी भी गायब होने लगी है. ऐसे में धान की खेती किये किसानों को फसल के सूखने जलने तथा कम पैदावार होने का डर भी सताने लगा है. इस समस्या को लेकर लोकल 18 की टीम ने कृषि वैज्ञानिकों से बात भी की तथा यह जानने की कोशिश की धान की फसल बर्बाद ना हो, पैदावार अच्छी हो इसके लिए खेतों में कितनी नमी या पानी की आवश्यकता होगी.
खेतों में तीन से पांच सेंटीमीटर चाहिए पानी
सिपाया में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र की फसल विशेषज्ञ वैज्ञानिक प्रिया दास ने जानकारी देते हुए बताया कि सामान्य खेतों में अभिधान की फसल वेजिटेटिव स्टेज में है. इस स्टेज से लेकर फ्लावरिंग स्टेज तक खेतों में 3 से 5 सेंटीमीटर ऊंचाई तक पानी की आवश्यकता होगी. इससे कम पानी हुई, तो धान के पैदावार पर असर पड़ेगा.
ऊंचाई पर हो, खेत तो हर 15 दिन पर करें सिंचाई
वैज्ञानिक ने यह भी भी कहा कि खेत यदि ऊंचाई पर है और पानी नहीं रुक रहा तो किसानों को यह सुनिश्चित करना होगा की फ्लोरिंग स्टेज तक हर 15 दिन पर एक बार सिंचाई हो.
खरीफ फसलों की सिंचाई के लिए सरकार डीजल अनुदान दिया जा रहा है. इसके लिए किसान पहले अपने खेतों की सिचाई कर लें. इसके बाद डीजल की स्लिप व जमीन के रसीदन के साथ ऑनलाइन आवेदन करेंगे. आवेदन के बाद एक सप्ताह में जांच होगी. इसके बाद किसानों के खाते में राशि हस्तानांतरित कर दी जाएगी.एक एकड़ की सिंचाई के लिए 750 रुपए निर्धारित है. अधिकतम आठ एकड़ की सिंचाई के लिए छह हजार रुपये खाते में आयेगा.
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FIRST PUBLISHED :
September 23, 2024, 23:34 IST