धान फोटो
राजनांदगांवः- बीते दिनों में बारिश के बाद धान की फसलों में तना छेदक और अन्य बीमारियां नजर आ रही हैं. जिससे किसान परेशान नजर आ रहे हैं. इन बीमारियों के कारण धान के फसल के खराब होने की संभावना है. तना छेदक,पत्ती लपेटा धान की फसल को खराब कर रहे हैं. कृषि विभाग द्वारा इससे बचने के लिए दवा का छिड़काव और अन्य प्रबंधन करने की सलाह किसानों को दी गई है. जिससे धान की फसल को इन कीटों से बचाया जा सके.
इस संबंध में लोकल 18 को जिला कृषि अधिकारी नागेश्वर लाल ने बताया कि जिले में धान का क्षेत्र 1 लाख 74 हजार हेक्टेयर में है. इसके साथ ही दलहन और तिलहन फसलों की भी खेती की जा रही है. जिसमें धान में विशेष कर स्टेम बोरर,लिप होल्डर,ब्लाट,बैक्टीरिया लिब लाइट इस तरह की बीमारियां दिख रही हैं. लगातार बादल भरा मौसम होने के कारण कीट के प्रकोप में थोड़ी सी वृद्धि हुई है. उसमें निरंतर नियंत्रण किया जा रहा है. विभिन्न माध्यम जो कीटनाशक हैं. आईपीएम की विधियां और अन्य विधियों के माध्यम से किसानों को सलाह दी जा रही है.
धान की फसलों में कीटों से हो रहा नुकसान
राजनांदगांव जिले के किसानों के लिए धान की फसल में होने वाले कीटों से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. धान में तना छेदक और पत्ता लपेटक होने के कारण किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके बचाव के लिए दवाई का छिड़काव और अन्य उपाय करने के लिए कहा गया है. इन बीमारियों के कारण फासले खराब हो रही हैं. स्टेम बोरर,तना छेदक एक प्रकार का कीट है. जो विशेष रूप से एक कीट है जो तने में छेद कर फसल को नुकसान पहुंचता है. उसी प्रकार पत्ती लपेटक कीट भी फसलों को नुकसान पहुंचता है. यह पत्तों में छेद करता है. इसके साथ ही फसल इसके कारण सफेद हो जाते हैं और विकास रूक जाता है.
धान की फसलों में दिख रहा कीटों का प्रकोप
राजनांदगांव जिले में धान की फसलों में बीते दिनों में बारिश के बाद इन कीटों का प्रकोप दिखाई दे रहा है, जिससे किसान परेशान हैं. इन कीटों के कारण फसलों को नुकसान होने की संभावना अधिक होती है. मौसम में आए परिवर्तन के बाद इन कीटों का प्रकोप और अधिक बढ़ जाता है. धान की फसल को अधिक तरह की नुकसान पहुंचाते हैं.
कीटों से बचने के उपाय
कीटनाशक,आईपीएम की विधियों के एकीकृत जीवनासी प्रबंधन के तहत कृषकों को सलाह दी जा रही ह. इसके साथ ही विभिन्न प्रकार की दवाइयां भी किसानों को उपलब्ध कराई जा रही है. इसके साथ ही बाजार में भी इन कीटों से लड़ने के लिए अनेक प्रकार की कीटनाशक दवा उपलब्ध हैं. जिनका उपयोग कर किसान इन बीमारियों से बचा जा सकता है. कीट अधिक होने पर हाइड्रोक्लोरिक 4G,फेफ्रेनिल 0.3 ग्राम 4 किलोग्राम प्रति एकड़ प्रयोग करें या फिर क्लोरोपीरीफोसि या हाइड्रोक्लोराइट 50g एक मिलीलीटर दवा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं. इससे तना छेदक बीमारियों से छुटकारा जो है मिल सकता है. किसान इसका प्रयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही अन्य प्रकार की दवाइयां का भी छिड़काव कर इन बीमारियों से बचा जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED :
September 22, 2024, 15:53 IST