Agency:News18 Uttar Pradesh
Last Updated:January 23, 2025, 23:58 IST
Modern techniques Farming nano urea use
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बस्ती. खेती-किसानी यूरिया के प्रयोगों पर निर्भर हो चुकी है. यूरिया का एक प्रकार है नैनो यूरिया जिसका चलन भी बढ़ता जा रहा है. नैनो यूरिया एक लिक्विड है, जिसे दानेदार यूरिया के विकल्प के रूप में कंपनियों ने विकसित किया है. इसमें नाइट्रोजन की मात्रा 20% होती है, जबकि दानेदार यूरिया में यह 46% होती है. नैनो यूरिया की एफिशिएंसी दानेदार यूरिया से कहीं अधिक है. लगभग 90%, जबकि दानेदार यूरिया की एफिशिएंसी इससे बहुत कम होती है. नैनो यूरिया अधिक एफिशिएंसी की वजह से पौधों के लिए बेहद लाभकारी साबित होता है और कम समय में बेहतर उपज देता है.
कब और कैसे करें
कृषि रक्षा अधिकारी बस्ती रतन शंकर ओझा बताते है कि नैनो यूरिया का उपयोग करने के लिए सही समय और विधि का पालन करना महत्वपूर्ण है. गेहूं की फसल बोने के बाद पहली सिंचाई 21-22 दिनों में होती है, तब पौधे छोटे होते हैं, इस समय नैनो यूरिया का उपयोग नहीं किया जाता है, क्योंकि उस समय यह नैनो यूरिया का घोल सीधे पौधों तक पहुंचने के बजाय जमीन पर गिरकर बेकार हो जाता है. गेहूं में नैनो यूरिया का उपयोग मुख्य रूप से द्वितीय और तृतीय सिंचाई के दौरान किया जाता है.
उपयोग करने की मात्रा
बस्ती कृषि रक्षा अधिकारी रतन सिंह ओझा ने बताया कि नैनो यूरिया का उपयोग प्रति लीटर पानी में 5 ml की दर से करना चाहिए. इसका मतलब है कि 100 लीटर पानी में 500 मिलीलीटर नैनो यूरिया का घोल तैयार कर पत्तियों पर छिड़काव किया जाता है. प्रति हेक्टेयर 500 मिलीलीटर नैनो यूरिया का छिड़काव करना चाहिए.
नैनो यूरिया के फायदे
नैनो यूरिया के कई फायदे हैं. सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह दानेदार यूरिया से सस्ता होता है, जिससे किसानों को कम लागत में पौधों को पर्याप्त नाइट्रोजन मिल जाता है. इसकी एफिशिएंसी दानेदार यूरिया से अधिक होने के कारण, नैनो यूरिया पौधों की पत्तियों के माध्यम से सीधे पौधों तक पहुंचता है, जिससे पौधों का विकास बेहतर होता है और फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है। यह न केवल पौधों की वृद्धि में मदद करता है, बल्कि फसल के उत्पादन में भी वृद्धि करता है.
Location :
Basti,Uttar Pradesh
First Published :
January 23, 2025, 23:58 IST
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