आप ही सोचिए. अगर आप पेट की पथरी निकलवाने किसी डॉक्टर के पास जाते हैं और वह घोर लापरवाही बरतते हुए आपकी किडनी निकाल ले, तो आप क्या करेंगे? किडनी जैसे अहम अंग गंवाने के बाद इंसान न्याय के लिए दर-दर की ठोकर खाता है. फिर अदालत एक फैसला सुनाती है और डॉक्टर पर छह लाख रुपये का जुर्माना लगा देती है. लेकिन, क्या यह मुआवजा काफी है?
ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो तेलंगाना राज्य उपभोक्ता निवारण आयोग के एक फैसले के बाद उठ रहे हैं. दरअसल, राज्य के करीमनगर जिले के एक अस्पताल पर आरोप लगा था कि वहां एक मरीज अपनी पथरी का इलाज करवाने पहुंचा था. लेकिन, डॉक्टर ने लापरवाही बरतते हुए मरीज की किडनी निकाल दी. डॉक्टर की इस लापरवाही के खिलाफ मरीज ने स्थानीय जिला उपभोक्ता फोरम से न्याय की गुहार लगाई और फोरम ने मरीज को छह लाख रुपये भुगतान करने का आदेश दिया. लेकिन, आरोपी डॉक्टर इसके लिए भी तैयारनहीं हुआ. उसने एक समान्य इंसान की पूरी जिदंगी जोखिम में डाल दी बावजूद इसके वह अपनी गलती स्वीकार करने को तैयार नहीं था. फिर डॉक्टर ने जिला फोरम के फैसले को राज्य उपभोक्ता फोरम में चुनौती दी, जहां उसको हार देखनी पड़ी. राज्य उपभोक्ता फोरम ने जिला फोरम के फैसले को बरकरार रखा.
क्या है पूरा मामला
टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसकी रिपोर्ट छापी है. मरीज का नाम बूसा मल्लैयाह है. वह करीमनगर जिले के कल्वाश्रीरामपुर गांव के रहने वाले हैं. नवंबर 2004 में सेवा संकल्प किडनी हॉस्पिटल में डॉ. एस. राम गोपाल ने उनका ऑपरेशन किया था. उनको पेट में तेज दर्द था. फिर मेडिकल टेस्ट में सामने आया कि उनकी किडनी में पथरी है, जिसको निकालने के लिए यह ऑपरेशन किया गया.
मल्लैयाह ने सर्जरी के लिए छह हजार रुपये जमा करवाया. लेकिन, ऑपरेशन के बाद उनकी पत्नी को बताया गया कि मल्लैयाह की स्थिति गंभीर है. उनको हैदराबाद ले जाने की जरूरत है. इसके बाद उनको निम्स हैदराबाद में शिफ्ट किया गया. वहां उनका एक और ऑपरेशन किया गया.
इसके बाद फिर के मल्लैयाह के पेट में दर्द उपट गया. वह एक दूसरे अस्पताल वेंकटेश्वर किडनी सेंटर में डॉक्टर आर. वकैयाह से मिले. उन्होंने बताया कि मल्लैयाह की राइट साइड की किडनी नहीं है. फिर मल्लैयाह ने इसको लेकर पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई.
एक्सेस ब्लिडिंग के कारण निकालनी पड़ी किडनी
डॉ. राम गोपाल ने दावा किया था कि मरीज के पेट में 29एमएम की किडनी है. ऑपरेशन के दौरान ज्यादा ब्लिडिंग के कारण मरीज की जान पर खतरा आ गया था. इस कारण उनकी राइट किडनी निकालनी पड़ी थी. आयोग ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह पाया कि डॉ. गोपाल के स्तर पर कई लापरवाही बरती गई. सबसे बड़ा सवाल यह उठा कि डॉक्टर गोपाल ने किडनी निकालने की सर्जरी क्यों की. इसी आधार पर राज्य उपभोक्ता आयोग ने जिला फोरम के फैसले को बरकरार रखा.
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FIRST PUBLISHED :
October 23, 2024, 09:41 IST