Bhoot Chaturthi successful Bengal: भारत में त्योहारों का मौसम शुरू हो चुका है और देश बड़े धूमधाम और जोश के साथ दिवाली मनाने की तैयारी कर रहा है. यह त्योहार देशभर में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. हर राज्य की अपनी खास परंपराएं हैं. जहां उत्तर भारतीय राज्यों में दीवाली पर देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है, वहीं पश्चिम बंगाल में लोग दीवाली की शाम को देवी काली की पूजा करते हैं, जिसे वहां “काली पूजा” भी कहा जाता है. यहां के दिवाली की बात करें तो जब देश ‘छोटी दीवाली’ मनाता है, उस दिन पश्चिम बंगाल के लोग अपनी खास ‘हैलोवीन’ शैली में ‘भूत चतुर्दशी’ मनाते हैं. यह काली पूजा से एक दिन पहले मनाई जाती है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह दिन कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर आता है और इसे घर से बुरी आत्माओं या भूतों को दूर करने के लिए मनाया जाता है.
ऐसे मनाई जाती है बंगाल में भूत चतुर्थी-
भूत चतुर्थी के दिन, बंगाल के लोग सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय से पहले स्नान करते हैं. इसके बाद, शाम को विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें घर में भगवान यमराज, मां काली, भगवान कृष्ण, भगवान शिव, भगवान हनुमान, और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन लोग भूतों और आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं और विशेष अनुष्ठान करते हैं.
भूतों के प्रकोप से बचने की परंपरा-
-इस दिन भूतों के प्रकोप से बचे के लिए शाम ढलते ही घरों में 14 मिट्टी के दीपक जलाए जाते हैं, जिन्हें ‘चोड्डो प्रोदीप’ कहते हैं. इन दीपों को दरवाजों, खिड़कियों के बाहर, तुलसी के पौधे के पास और अन्य जगहों पर रखा जाता है.
-ऐसा माना जाता है कि इस दिन 14 पूर्वज अपने जीवित संतानों को देखने धरती पर आते हैं और उनकी खुशहाली देख वे संतुष्ट होते हैं और देकर जाते हैं. ये दीपक पूर्वजों को घर खोजने में मदद करते हैं.
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-इस दिन हर घर में 14 तरह के साग या पत्तेदार सब्ज़ियों को मिलाकर एक सब्जी बनाई जाती है जिसे खाने की परंपरा है. इस रेसिपी को ‘चोड्डो शाक’ कहते हैं. इसे इस दिन का मुख्य भोग या प्रसाद के रूप में परोसा जाता है.
-इस दिन शाम को विशेष पूजा की जाती है, जिसमें भगवान यमराज, मां काली, भगवान कृष्ण, भगवान शिव, भगवान हनुमान और भगवान विष्णु की मूर्तियां पूजी जाती हैं.
-इनकी पूजा के बाद रात के समय देवी काली की पूजा की जाती है और भक्त अपनी सुरक्षा और कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं. मान्यता है कि इस दिन बुरी शक्तियां अधिक हावी होती हैं और मां चामुडा और काली का भयावह रूप देख वे घर में प्रवेश नहीं करते हैं.
-इस दिन तंत्र विद्या सीखने वाले लोग तंत्र साधना करते हैं. इस दिन बच्चों को घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होती. बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि इस रात तांत्रिक, सिद्धियां प्राप्त करने के लिए बच्चों का अपहरण कर उनकी बलि चढ़ाकर काली शक्तियां प्राप्त करते हैं.
-भूत चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली और काली चौदस भी कहते हैं. यह पर्व कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है.
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FIRST PUBLISHED :
October 25, 2024, 10:43 IST