बाजरे की खेती
काजल मनोहर/जयपुर. इस बार मानसून की मेहरबानी पूरे प्रदेश पर रही है. अच्छी बारिश के कारण इस बार खरीफ में बाजरे की बंपर पैदावार होने की संभावना है. आपको बता दें कि बाजरा कम बारिश में भी हो जाता है लेकिन इस बार अच्छी बारिश से किसानों को लाभ मिलेगा और बाजरे की गुणवत्ता में भी सुधार होगा.
उन्नत किसान विक्रम मीणा ने बताया कि बाजरे से पशुओं को चारे की पूर्ति होती है. मामूली फफूंदी और अर्गट रोगों के लिए यह प्रतिरोधी फसल है. कई बार अधिक दूध लेने के लिए पशुपालक अधिक मात्रा में बाजरा खिला देते है. इससे पशुओं की सेहत पर उल्टा असर पड़ जाता है. रोगों के लिए उपचार फसल में सफेद लट, फड़का कीट व गोदिया रोग का प्रकोप रहता है.
सफेद कीट की रोकथाम ऐसे करें
उन्नत किसान मोहन लाल ढाका ने बताया कि सफेद लट कीट रोकथाम के लिए फिप्रोनिल एक मिलीलीटर दवा एक किलो बीज की दर से बीज उपचार करें. फड़का कीट के नियंत्रण के लिए क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी या क्यूनालफास 25 ईसी 1.5 मिलीलीटर दवा का 1 लीटर पानी में घोल बना कर खड़ी फसल पर छिड़काव करें या क्यूनालफास 1.5 प्रतिशत पाउडर का 25 किलो पाउडर का प्रति हेक्टेयर भुरकाव करें.
संकर की पैदावार अधिक
इस बार देसी बाजरे की तुलना में संकर व संकुल किस्मों की पैदावार अधिक है. बाजरे की एमपीएमएच-17 लगभग 80 दिनों में तैयार हो जाती है. किसान इसकी बुवाई चार किलो प्रति हेक्टेयर की बीज दर से कर सकते हैं. एचएचबी- 68 (2) किस्म अगेती व पछेती फसल के लिए उपयोगी है.
पौष्टिक तत्वों से भरपूर
बाजरा राजस्थान में हर क्षेत्र में खाया जाता है. डॉ.किशन लाल ने बताया कि बाजरा में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन व फाइबर होता है जो कि स्वास्थ्यवर्धक है. विटामिन व खनिज भरपूर मात्रा में होने के कारण यह डायबिटीज, हृदय रोगियों के लिए अच्छा आहार है. एसिडिटी, अपच, गैस जैसी बीमारियों के लिए भी बाजरा फायदेमंद होता है.
बंजर भूमि में भी उग जाता है बाजरा
बाजरे की फसल के लिए भूमि कायू उपजाऊ होना या अच्छी बारिश का होना जरूरी नहीं है. कम बारिश व रेतीली, चिकनी, काली दोमट, लाल सभ मिट्टियों में बाजरे की पैदावार अच्छी होती है. इसकी फसल बारिश पर ही निर्भर रहती है. जहां पानी की व्यवस्था रहती है, वहां पर बारिश नहीं होने पर एक या दो बार साधारण सिंचाई की जाती है.
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FIRST PUBLISHED :
October 5, 2024, 16:23 IST