बच्चों को डिजिटल मीडिया से रहना होगा दूर, ऑस्ट्रेलिया में कानून लाने की तैयारी

6 hours ago 1

ऐसे दौर में जब दुनिया भर में आर्टीफिशयल इंटेलिजेंस के फायदे और नुकसान को ले कर बहस चल रही है, सोशल मीडिया पर पाबंदी के लिए ऑस्ट्रेलिया की संसद में पेश कानून की चर्चा हो रही है. कानून के मुताबिक 16 साल से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे. ऐसे में पहला सवाल तो यही उठता है कि क्या सोशल मीडिया इतना खतरनाक है कि उसका इस्तेमाल करने से बच्चों या कहें कि भविष्य के नागरिकों के मन-मष्तिष्क पर बेहद बुरा असर पड़ सकता है? इससे भी व्यापक प्रश्न यह है कि सोशल मीडिया क्या वाकई सोशल यानी सामाजिक है भी या नहीं?

जवाब बहुत मुश्किल नहीं है. इंटरनेट की मदद से चलने वाले मीडिया यानी वैब मीडिया यानी डिजिटल मीडिया को सोशल मीडिया कहा जाता है. तो क्या संचार के दूसरे माध्यम जैसे समाचार पत्र, पत्रिकाएं, टीवी, रेडियो को गैर-सोशल मीडिया कहा जा सकता है? जी नहीं. मोटे तौर पर सभी तरह के संचार माध्यम सोशल मीडिया ही हैं. इसलिए जिसे हम सोशल मीडिया कहते हैं, उसे वैब या डिजिटल मीडिया कहना ज्यादा उचित होगा.

दूसरी बड़ी दलील यह है कि डिजिटल मीडिया से संबंधित विभिन्न मंचों ने समाज को एकजुट करने की बजाए आत्मकेंद्रित ही किया है. सड़कों पर चलते लोगों को मोबाइल फोनों में गुम देखा जा सकता है. मेट्रो और बसों में भी सवार ज्यादातर लोग अपने-अपने मोबाइल फोनों पर ही व्यस्त नजर आते हैं. यहां तक कि घरों में भी लोग आपस में बातें नहीं करते, बल्कि मोबाइल फोन में ही घुसे रहते हैं. ऐसी खबरें भी मिलती रहती हैं कि मोबाइल फोन और हैडफोन के जरिये कुछ सुनने में मस्त लोग रेल की पटरियां पार करते हुए कट कर मर जाते हैं. उन्हें यह ध्यान ही नहीं रहता कि आस-पास क्या हो रहा है. बहुत से लोगों के लिए डिजिटल मीडिया जानलेवा लत बनता जा रहा है. इसका ज्यादा इस्तेमाल करने वाले बच्चों का स्वाभाविक मानसिक विकास तक नहीं हो पाता.

ऐसे दौर में डिजिटल मीडिया के इस्तेमाल पर पाबंदी के लिए लाए गए ऑस्ट्रेलिया सरकार के कानून को ले कर बहस लाजिमी है. कानून के तहत अगर 16 साल से कम उम्र के बच्चे डिजिटल मंचों का इस्तेमाल करते पाए जाएंगे, तो डिजिटल मंच चलाने वाली कंपनी को करीब तीन करोड़ डॉलर का भारी-भरकम जुर्माना लगाया जाएगा. यानी ऐसे बच्चों के माता-पिता की कोई जवाबदेही नहीं होगी. साथ ही अब क्योंकि पढ़ाई-लिखाई भी ऑनलाइन होने लगी है, सेहतमंद मनोरंजन भी डिजिटल मंचों के माध्यम से होता है, तो ऐसे डिजिटल मंचों के इस्तेमाल पर कुछ छूट की उम्मीद ऑस्ट्रेलिया के लोग कर रहे हैं.

वैसे डिजिटल मंचों पर पाबंदी लगाने वाला ऑस्ट्रेलिया पहला देश नहीं है. इससे पहले भी कई देश इस तरह की पहल कर चुके हैं. स्पेन में भी 16 साल से कम उम्र के बच्चों के डिजिटल मीडिया के इस्तेमाल पर रोक है. अमेरिका के फ्लोरिडा में भी 14 साल से कम उम्र के बच्चे डिजिटल मीडिया अकाउंट नहीं खोल सकते. गौर करने वाली बात है कि साल 2015 से अभी तक 62 देश डिजिटल मीडिया पर कोई न कोई पाबंदी लगा चुके हैं. एशिया के 48 में से 27 देशों में इंटरनेट या डिजिटल मीडिया के इस्तेमाल पर सख्ती बढ़ा दी गई है. यह बात इंटरनेट मॉनीटर एजेंसी सर्फशार्क और नेटब्लॉक्स की रिपोर्ट में कही गई है. रिपोर्ट में दुनिया के 185 देशों में 2015 से लेकर 30 नवंबर 2020 तक इंटरनेट प्रतिबंध की पड़ताल की गई है.

रिपोर्ट बताती है कि पिछले पांच साल में 62 देशों ने इंटरनेट और सोशल मीडिया पर सख्ती बरती है. सबसे ज्यादा कड़ाई चीन, उत्तर कोरिया, ईरान और कतर ने दिखाई है. चीन में विदेशी डिजिल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. 2015 के बाद से हर तीन में से एक देश डिजिटल मीडिया पर रोक लगा चुका है. साल 2019 में इंटरनेट पर 121 बार प्रतिबंध लगा कर भारत दुनिया में सबसे ऊपर रहा. ये बैन समाज में बदअमनी नहीं फैले, इस वजह से लगाई जाती है. इंटरनेट पर बैन लगाने वाले देशों में चाड, पाकिस्तान, मिस्र, ईरान समेत 14 देशों ने सामाजिक हालात खराब होने से रोकने के लिए इंटरनेट पर बैन लगाया.

Tags: Australia news, Social media

FIRST PUBLISHED :

November 22, 2024, 15:39 IST

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article