मंडी के अति प्राचीन मंदिरों में से एक बाबा भूतनाथ मंदिर में 26 अक्टूबर को हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बाबा भूतनाथ के पूर्व में रहे महंत विवेकानन्द सरस्वती की आठवीं पुण्यतिथि पर भंडारे का आयोजन किया जा रहा है. यह जानकारी बाबा भूतनाथ मंदिर के महंत देवानंद सरस्वती ने दी है.
बाबा भूतनाथ मंदिर के महंत देवानंद सरस्वती लोकल 18 से कहा कि काफी लंबे समय तक स्वामी विवेकानन्द सरस्वती ने बाबा भूतनाथ मंदिर में अपनी सेवा दी. आज से आठ वर्ष पहले स्वामी विवेकानन्द सरस्वती ब्रह्मलीन हो गए थे. तब से हर वर्ष बाबा भूतनाथ मंदिर में स्वामी विवेकानन्द सरस्वती की पुण्यतिथि मनाई जाती है. उनकी याद में भंडारे का आयोजन किया जाता है. उन्होंने कहा कि भंडार दोपहर एक बजे से देर शाम तक चलता रहेगा. उन्होंने मंडी जिला और समस्त नगरवासियों से भंडारे में बढ़ चढ़कर भाग लेने का आग्रह किया है.
क्या है बाबा भूतनाथ मंदिर का इतिहास
काशी के बाद यदि भगवान शिव के सबसे ज्यादा मंदिर कहीं है तो वह है हिमाचल प्रदेश के मंडी शहर में , इसीलिए मंडी शहर को छोटी काशी के नाम से जाना जाता है. इस शहर में अनेकों ऐतिहासिक शिव मंदिर हैं. ये शिव मंदिर इस शहर के इतिहास व संस्कृति को संजोए रखे हुए हैं. इन शिव मंदिरों में सबसे प्रचलित मंदिर है बाबा भूतनाथ मंदिर बाबा भूतनाथ मंदिर को मंडी शहर का अधिष्ठाता कहा जाता है. 1527 ई. में हुआथा मंदिर का निर्माण-बाबा भूतनाथ के मंदिर निर्माण के बाद ही यहां पर मंडी शहर की स्थापना हुई है.
1527 ई. इस मंदिर का हुआ था निर्माण
1500 ई. में मंडी शहर ब्यास नदी के दूसरी तरफ होता था. आज जहां पर शहर है वहां पर सिर्फ घना जंगल हुआ करता था. एक ब्राह्मण की गाय रोजाना इस जंगल में आकर एक स्थान पर अपना दूध छोड़ दिया करती थी. एक दिन तत्कालीन राजा अजबर सेन उस ब्राह्मण के साथ गाय का पीछा करते हुए इस स्थान पर आए. उन्होंने अपनी आंखों से इस दृश्य को देखा और वापस चले गए. उसी रात को राजा को स्वप्न में यहां पर बाबा भूतनाथ का मंदिर बनाने का आदेश हुआ. 1527 ई. में राजा अजबर सेन ने इस मंदिर का निर्माण करवाया.
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FIRST PUBLISHED :
October 19, 2024, 19:48 IST