राजा भी नहीं टाल पाए विधि का विधान , दामाद को शेर ने मार डाला।
कुशीनगर: जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर रामकोला में स्थित धर्मसमधा मंदिर प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व का केंद्र है. चारों तरफ हरे-भरे पेड़-पौधों और तालाबों से घिरा यह प्राचीन मंदिर मां दुर्गा और भगवान शंकर को समर्पित है. पूरे साल यहां भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन चैत्र नवरात्र के दौरान यहां भव्य मेले का आयोजन होता है. दूर-दूर से लोग अपनी श्रद्धा और मन्नतों के साथ यहां आते हैं, यह विश्वास लेकर कि उनकी प्रार्थनाएं देवी मां अवश्य पूरी करेंगी.
मंदिर का इतिहास 500 साल पुराना बताया जाता है. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यहां के राजा मदनपाल सिंह की पुत्री का भाग्य अत्यंत कठिन था. कुंडली के अनुसार, शादी के अगले दिन उसकी पति की मृत्यु होनी तय थी. इस समस्या के समाधान के लिए पंडितों ने सुझाव दिया कि कन्या के लिए एक महल बनाया जाए, जिसे चारों ओर से गहरे तालाब से घेरा जाए. राजा ने इस सुझाव को तुरंत अमल में लाया.
भविष्यवाणी सच साबित
शादी पूरे विधि-विधान से सम्पन्न हुई, लेकिन अगली रात भविष्यवाणी सच साबित हुई. एक बाघ ने आकर दूल्हे की जान ले ली. इसके बाद राजा की पुत्री अपने पति के शव के साथ चिता पर बैठकर सती हो गई. कहा जाता है कि उसी स्थान पर सती देवी की स्थापना की गई, जो आज धर्मसमधा मंदिर के रूप में पूजित है.
आस्था और उम्मीद का केंद्र
मंदिर के मुख्य पुजारी लालमन तिवारी बताते हैं कि यह मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए उम्मीद का केंद्र भी है. यहां हर साल शादी-विवाह, कथा और अन्य मांगलिक कार्यों के आयोजन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.
संरक्षण की जरूरत
पुजारी ने मंदिर की देखरेख और सुविधाओं में सुधार की मांग की. उन्होंने कहा कि यह मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है, लेकिन उचित देखभाल और सुविधाओं के अभाव में यहां आने वाले श्रद्धालुओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सरकार और प्रशासन को इस ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए.
मंदिर का महत्व
यह मंदिर न केवल धार्मिक मान्यताओं का प्रतीक है, बल्कि इतिहास और संस्कृति का भी अभिन्न हिस्सा है. धर्मसमधा मंदिर में आकर भक्त शांति और आशीर्वाद का अनुभव करते हैं. बेहतर देखभाल और विकास के साथ यह स्थान और अधिक समृद्ध बन सकता है.
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FIRST PUBLISHED :
November 21, 2024, 14:42 IST
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