Last Updated:January 31, 2025, 17:03 IST
Supreme Court News: भारत में VIP और VVIP कल्चर सिर चढ़कर बोलता है. आम जीवन में देश के लोगों को अक्सर ही इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. अब इसपर सुप्रीम कोर्ट ने अपना रुख साफ किया है.
हाइलाइट्स
- मंदिरों में VIP और VVIP दर्शन के खिलाफ दायर की गई थी जनहित याचिका
- सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देने से किया इनकार, पर दो जजों की पीठ ने दी अपनी राय
- सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने मामले पर की सुनवाई
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंदिरों में VIP और VVIP कल्चर के तहत कुछ लोगों को खास सुविधाएं दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है. इस मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस मामले में मंदिर प्रशासन और समाज को ही निर्णय लेना चाहिए. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई की. शीर्ष अदालत ने इस मसले पर आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, लेकिन पीठ ने अपनी सलाह जरूर दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर मंदिर प्रबंधन या समाज को उचित व्यवस्था करनी चाहिए. कोर्ट इस मामले में कोई आदेश नहीं दे सकता है. कोर्ट ने आगे कहा हम इस मामले में कोई आदेश नहीं दे सकते हैं, लेकिन सलाहया राय दे सकते हैं. कोर्ट ने इस मसले पर सलाह देते हुए कहा कि मंदिरों में इस तरह की सुविधाओं जो खास लोगों को दी जाती हैं वो नहीं दी जानी चाहिए. साथ ही सीजेआई की पीठ ने स्पष्ट किया कि इस मामले पर कोर्ट कोई निर्देश पारित नहीं रहा है. हमें नहीं लगता है कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत प्रदान किए गए विशेष अधिकार का प्रयोग करना चाहिए.
क्या है जनहित याचिका?
मंदिरों में VIP दर्शन और भेदभाव को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 31 जनवरी को सुनवाई करने के लिए तारीख तय किया गया था. सीजेआई की पीठ ने पूर्व के आदेशों के मुताबिक शुकवार को इसपर सुनवाई की. पिछली सुनवाई के दौरान तर्क दिया गया था कि मंदिरों में विशेष या जल्दी दर्शन के लिए अतिरिक्त शुल्क वसूलना संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत समानता और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है.
भक्तों के साथ भेदभाव
दलील दी गई कि इस व्यवस्था के चलते साधारण भक्तों के साथ भेदभाव होता है. खासकर उन भक्तों के साथ जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं. याचिका में कहा गया है कि मंदिरों में 400-500 रुपये तक का वीआईपी दर्शन शुल्क लेकर भक्तों को देवता के विग्रह तक जल्दी पहुंचने की सुविधा दी जाती है. यह न केवल समानता के सिद्धांत का उल्लंघन है, बल्कि महिलाओं, दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों जैसे वंचित वर्गों के साथ अन्याय भी है.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
January 31, 2025, 17:03 IST