महाकुंभ में करोड़ों की संख्या में लोग डुबकी लगा रहे हैं। स्नान के बाद लोगों को सूर्य देव, अपने पितरों और शिवलिंग पर जलाभिषेक जरूर करना चाहिए। आज दूसरे अमृत स्नान का शुभ योग के दिन श्रद्धालु बड़ी संख्या में प्रयागराज पहुंच रहे हैं। साथ ही मौनी अमावस्या तिथि के कारण आज स्नान के बाद पितरों को जल जरूर अर्पित करना चाहिए। मौनी अमावस्या पर स्नान का शुभ मुहूर्त 5.25 से 6.18 तक है।
किस दिशा में मुख कर जल दें?
स्नान के बाद नदी के जल से अपने पितरों को जल दें। माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन पितृदेव धरती पर वास करने आते हैं। ऐसे में स्नान के बाद पितरों को जल अर्पित जरूर करना चाहिए। साथ ही याद रहे कि ऐसे ही किसी भी दिशा में मुख कर जल नहीं देना है बल्कि जातक को जल अर्पित करते समय दक्षिण दिशा में मुख कर अपने पितरों को जल देना चाहिए। बता दें कि दक्षिण दिशा में पितरों का वास माना गया है। साथ ही यह दिशा यम को समर्पित है।
क्या है पूजा-व्रत विधि?
ऐसे में श्रद्धालु संगम तट पर पवित्र नदी में डुबकी लगा रहे हैं। यदि नदी में स्नान संभव न हो तो नहाने के बाद गंगाजल अपने ऊपर जरूर छिड़क लें। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की आराधना करें। साथ ही तुलसी माता की 108 बार परिक्रमा करें।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)