पारिजात के वृक्ष को छूने मात्र से सारी थकान मिट जाती है
बाराबंकी: महाभारत कालीन पौराणिक पारिजात धाम, जो जिले के किंतूर गांव में स्थित है, अब इको टूरिज्म केंद्र के रूप में विकसित हो चुका है. प्रदेश सरकार की नई पर्यटन नीति और जिला प्रशासन के सहयोग से यह स्थल धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन के केंद्र के रूप में उभरा है. इस विकास के साथ, यहां रोजाना हजारों श्रद्धालु और पर्यटक आने लगे हैं, जिससे स्थानीय रोजगार में भी वृद्धि हुई है.
महाभारत काल से जुड़ा पारिजात का वृक्ष, जो देश में अपनी तरह का इकलौता है, किंतूर गांव में स्थित है. किंतूर का नामकरण पांडवों की माता कुंती के नाम पर हुआ है, जहां उन्होंने पांडवों के साथ अज्ञातवास बिताया था. इस वृक्ष को छूने मात्र से थकान मिटने की मान्यता है. इसकी गोलाई लगभग 50 फुट और ऊंचाई 45 फुट है. सफेद फूल, जो सूखने पर सुनहरे हो जाते हैं, रात में खिलते हैं और उनकी सुगंध दूर-दूर तक फैलती है. वन विभाग की टीमें इस वृक्ष के संरक्षण और देखभाल में जुटी हैं. माना जाता है कि इस वृक्ष की आयु करीब 5000 साल है.
इको टूरिज्म का नया केंद्र
पारिजात धाम को इको टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित करने के लिए अनेक सुविधाएं जोड़ी गई हैंश्रद्धालुओं के लिए आकर्षक गार्डन और चारों ओर वॉकवे. बच्चों के लिए खेल क्षेत्र, झूले और बेंच.
खाने-पीने के लिए कैंटीन. प्रांगण के चारों ओर हरे-भरे पेड़ और फूलों से सुसज्जित वातावरण.
पारिजात प्रांगण में इंफोग्राफिक्स और जिंगल्स भी लगाए गए हैं, जो इस धाम के ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व को प्रदर्शित करते हैं.
पर्यटकों की बढ़ती संख्या
इको टूरिज्म के रूप में विकसित होने के बाद यहां आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है. स्थानीय लोगों और पर्यटकों ने इस प्रयास की सराहना की है. उन्होंने कहा कि यहां की साफ-सफाई, बच्चों के झूले और सुविधाओं ने इसे एक बेहतरीन पर्यटन स्थल बना दिया है.
जिलाधिकारी की प्रतिक्रिया
बाराबंकी के जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि, “वन विभाग और जिला प्रशासन के प्रयास से पारिजात धाम को इको टूरिज्म के रूप में विकसित किया गया है. यहां पर्यटकों और बच्चों की सुख-सुविधा के लिए बेहतर कार्य किया गया है. इस प्रयास के कारण पारिजात धाम में पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है.”
पारिजात धाम: धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर
पारिजात धाम न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है बल्कि इसे सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पर्यटन स्थल के रूप में भी एक नई पहचान मिली है. स्थानीय लोगों को इससे रोजगार के अवसर भी मिले हैं, और यह स्थान अब बाराबंकी जिले के प्रमुख आकर्षणों में से एक बन चुका है.
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FIRST PUBLISHED :
November 17, 2024, 20:26 IST