महाराष्‍ट्र: शिंदे-फडणवीस की 'तकरार' दोनों शिवसेनाओं को करेगी एक? जानिए क्‍यों है यह चर्चा

3 hours ago 1

नई दिल्‍ली :

महाराष्‍ट्र की सियासत में 5 साल पहले नाटकीय घटनाक्रमों का जो सिलसिला शुरू हुआ था वह थमने का नाम नहीं ले रहा है. अमेरिका के संस्थापको में से एक बेंजामिन फ्रैंकलिन, जो ने अपनी आत्मकथा में लिखा था : "जैसे ही एक दल अपने सामान्य उद्देश्य को प्राप्त कर लेता है, उसके प्रत्येक सदस्य का ध्यान अपने व्यक्तिगत हितों की ओर चला जाता है, जिससे अन्य लोग प्रभावित होते हैं और वह दल विभाजन का शिकार होकर अधिक भ्रम की स्थिति में आ जाता है."

लगभग ढाई सौ साल पहले लिखे गए उनके ये शब्द आज के महाराष्ट्र की राजनीतिक परिदृश्य से मेल खाते हैं, जब से विधानसभा चुनाव के नतीजे आए हैं, तब से महायुति के घटकों के बीच मतभेद की खबरें लगातार सामने आ रही हैं. अब शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत के हालिया बयान ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच दरार की चर्चाओं को और बल दिया है.

शिंदे को फोन टेप करने का शक: राउत

राउत ने सामना में लिखा कि उनकी फ्लाइट में सह-यात्री शिवसेना के एक विधायक ने बताया कि एकनाथ शिंदे फडणवीस से नाराज हैं और ध्यान की अवस्था में चले गए हैं. उस विधायक ने राउत से कहा कि अमित शाह ने शिंदे को आश्वासन दिया था कि चुनाव उनकी नेतृत्व में लड़ा जाएगा और उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, लेकिन भारी खर्च करने के बावजूद ऐसा नहीं हुआ. राउत के अनुसार, विधायक ने यह भी बताया कि शिंदे को शक है कि उनके फोन को केंद्रीय एजेंसियां टेप कर रही हैं.

राउत आगे लिखते हैं कि शिंदे अपने विधायकों से चिढ़ जाते हैं और सरकारी कामकाज में रुचि नहीं ले रहे हैं, जो उनकी आधिकारिक बैठकों में देर से पहुंचने से साफ झलकता है. उन्होंने लिखा कि फडणवीस, शिंदे की मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा से असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और इसीलिए उन्होंने अजित पवार से नजदीकियां बढ़ा ली हैं, जो उपमुख्यमंत्री के पद से संतुष्ट हैं. 

शिवसेना का एक धड़ा घर वापसी के पक्ष में: राउत 

राउत के अनुसार, शिंदे के ज्यादातर विधायक फडणवीस के प्रति वफादार हैं और सीधे बीजेपी में शामिल होकर उनके नेतृत्व को स्वीकार करने की योजना बना रहे हैं. शिवसेना का एक धड़ा "घर वापसी" के पक्ष में है, लेकिन केंद्रीय एजेंसियों से डर के कारण खुलकर इसे व्यक्त नहीं कर रहा है.

राउत के दावों को सत्ता पक्ष उनकी कल्पना कहकर खारिज कर रहा है, लेकिन महायुति सरकार में मंत्री और शिंदे समर्थक संजय शिरसाट के हालिया बयान से राउत के दावे कुछ हद तक पुष्ट होते हैं. शिरसाट ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि शिवसेना के दोनों गुट एक हो जाएं और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पार्टी विभाजित हो गई. उन्होंने एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे को एक मंच पर लाने की पेशकश की.

हालांकि, एकनाथ शिंदे ने जल्द ही इस बयान को मीडिया की गलतफहमी करार देकर खारिज कर दिया, लेकिन इसने महाराष्ट्र की सियासत में हलचल मचा दी है. महायुति सरकार बनने के बाद से ही कई घटनाएं घटी हैं, जो राउत और शिरसाट के बयानों को मजबूती देती हैं.

ठगा महसूस कर रहा है शिंदे खेमा!

पहले शिंदे को मुख्यमंत्री पद नहीं मिला, फिर गृह मंत्रालय का पद भी नहीं दिया गया. इसके बाद नासिक और रायगढ़ के संरक्षक मंत्री पदों से भी उन्हें दूर रखा गया, जिससे उनके खेमे को यह महसूस होने लगा कि उन्हें गठबंधन में न्याय नहीं मिला. इसके अलावा, फडणवीस ने शिंदे के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान लिए गए कुछ फैसलों को पलट दिया या उन पर जांच बैठा दी, जिससे स्थिति और बिगड़ गई. हाल ही में बीजेपी मंत्री गणेश नाइक ने ठाणे में जनता दरबार लगाया, जो शिंदे का गढ़ माना जाता है.

महाराष्ट्र 2019 के चुनावों के बाद से ही लगातार राजनीतिक उथल-पुथल का गवाह बना हुआ है. इन पांच वर्षों में राज्य ने तीन मुख्यमंत्री देखे, दो पार्टियों में बगावत हुई और कई दिग्गज नेता जेल गए. महाराष्ट्र की यह सियासी गाथा अभी जारी है.

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article