शारदीय नवरात्रि
पूर्णिया:- सनातन धर्म के लिए नवरात्र बहुत महत्व रखता है. लोग आस्था और विश्वास से मां दुर्गा आदि शक्ति की 10 दिनों तक पूजा पाठ कर आशीर्वाद लेते हैं. ऐसे में सनातन धर्म के मुताबिक हर साल नवरात्री में मां दुर्गा के आगमन के लिए अलग-अलग वाहन होते हैं और माता के जाने के लिए भी अलग-अलग वाहन होते हैं. वही पूर्णिया के पंडित मनोत्पल झा कहते हैं कि इस बार शारदीय नवरात्र 3 अक्टूबर से शुरू होकर 12 अक्टूबर को समाप्त होगा. वहीं इस बार माता का आगमन पालकी से होगा और प्रस्थान स्वयं के चरण से पैदल जाना होगा, जिसमें कई आपदा-विपदा और राजनीति उथल-पुथल की संभावना बन रही है.
प्राकृतिक आपदा के साथ होगी राजनीति हलचल
जानकारी देते हुए पूर्णिया के पंडित मनोत्पल झा कहते हैं कि इस बार आम जन मानस और संसार के प्राणियों के लिए चिंता प्रकट कर रही है. सनातन धर्म के मुताबिक, हर साल नवरात्र में माता का आगमन और प्रस्थान को जानकर ही आगे की ज्योतिष गणना और असर देखा जाता है. उन्होंने लोकल 18 को बताया कि मां दुर्गा का पालकी से आना यह अशुभ संकेत देती है और इससे भी बड़ा अशुभ संकेत माता का अपने चरण से पैदल जाना, यह और भी अशुभ संकेत देती है. हालांकि हम सबको माता का नियम पूर्वक पूजा पाठ कर उनसे आशीर्वाद लेने की जरूरत है, ताकि माता जाते वक्त अपने साथ दुनिया की तमाम मुसीबतों को लेकर चली जाए.
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माता का आना और जाना, दोनों दे रहे अशुभ संकेत
पंडित मनोत्पल झा Local 18 को आगे बताते हैं कि इस बार नवरात्रि की शुरुआत आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष 3 अक्टूबर को प्रथम पूजा शैलपुत्री के रूप से शुरू होकर 10 अक्टूबर को सप्तमी निशा पूजा के साथ होगी. फिर 11 अक्टूबर को अष्टमी और नवमी, दोनों एक ही दिन पड़ रहे हैं और 12 अक्टूबर को विजया दशमी के साथ समाप्त होगी. इस बार माता का आगमन और प्रस्थान से संसार में त्राहिमाम और तबाही के साथ कई प्राकृतिक आपदा-विपदा के साथ राजनीति उथल-पुथल की भी संभावना बन रही है.
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FIRST PUBLISHED :
October 1, 2024, 23:47 IST
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