Exclusive: इजरायल नहीं माना तो फिर करेंगे हमला..., ईरान के राजदूत ने बताया क्या होगा उनका अगला कदम?

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नई दिल्ली:

ईरानी सेना ने मंगलवार रात इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलों की बौछार कर दी. हमले में मुख्‍य रूप से सैन्य और सुरक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया. हमले के बाद भारत में ईरान के राजदूत ईराज इलाही ने एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि ये हिज्बुल्ला नेता हसन नसरल्लाह और इस्माइल हनीमिया की मौत का बदला है. 

ईराज इलाही ने कहा कि ईरान ने हमेशा अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्रमुखता से ऊपर रखा है. देश के हितों के खिलाफ उठने वाली आवाजों को रौंदने के लिए हमने ये कदम उठाया है. अगर इजरायल अब भी नहीं मानता है और ईरान के खिलाफ कुछ भी करता है, तो हम दोबारा उस पर हमला करेंगे.

ईरान के राजदूत ने कहा कि क्षेत्र में कई देश इजरायल की इन हरकतों के खिलाफ हैं. दूसरे देशों के लोगों में भी इजरायल को लेकर गुस्सा है. इजरायल ने मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है. उन्होंने इंटरनेशनल कानून भी तोड़े हैं. इजरायल की इन हरकतों की वजह से दूसरे देश उनके खिलाफ हैं और नाराज हैं. मुझे लगता है कि ईरान के इस ऑपरेशन का कई लोग सपोर्ट करेंगे. इजरायल को अपनी ये हरकतें बंद करनी होगी और ये अत्याचार जो वो कर रहा है उसे बंद करना होगा.

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उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि इस सदी के नए हिटलर को इससे सबक मिल गया है और वो अत्याचारी कदम बंद करेंगे. अगर ये नहीं रोका जाता है, वो बेगुनाहों को मारना बंद नहीं करेंगे तो ईरान फिर दोबारा से उस पर हमला करेगा.

ईरानी राजदूत ने कहा कि हम जल्द ही ये समीक्षा करेंगे कि एक हमले के नतीजे क्या रहे. लेकिन ये ईरान का दूसरा ऑपरेशन है. इसलिए हमने पहले वाले से बहुत कुछ सीखा है. दूसरा ऑपरेशन पहले वाले से ज्यादा सफल रहा.

इस संघर्ष में भारत से उम्मीद के सवाल पर ईराज इलाही ने कहा कि इंडिया हमेशा से अहम देश रहा है. भारत के इजरायल के साथ अच्छे संबंध हैं. पीएम मोदी ने कहा था कि ये युद्ध का समय नहीं है. अगर कोई देश दूसरे देश की संप्रभुता का उल्लंघन करता है तो वो कैसे चुप बैठ सकता है. भारत और अन्य देश जो इजरायल के साथ अच्छे संबंध रखते हैं, वो इजरायल को मना सकते हैं कि वो क्षेत्र में अत्याचार बंद करे.

इस युद्ध में अमेरिका की भूमिका पर ईराज इलाही ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि अमेरिका नेतन्याहू को ये समझाएगा कि अत्याचार रोके जाएं और बेगुनाहों को ना मारा जाए. अमेरिका इजरायल को सपोर्ट कर रहा है, क्षेत्र में कई सारे डवलपमेंट के चलते पहले भी अमेरिका ने अफगानिस्तान, ईरान, लीबिया में युद्ध किए हैं. उनका मकसद अस्थिरता है.

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