गोड्डा
आदित्य आनंद, गोड्डा: गोड्डा जिले के पथरगामा प्रखंड के हरकट्टा गांव के किसान नसीब मुर्मू ने मोटे अनाज (मिलेट्स) की खेती करके अपनी किस्मत बदल दी है. जहां पारंपरिक खेती में अधिक पानी और संसाधनों की जरूरत होती है, वहीं नसीब मुर्मू ने पिछले तीन वर्षों से मोटे अनाज की खेती करके हर साल 50 हजार रुपये तक की कमाई की है. इस वर्ष उन्होंने 1.5 एकड़ जमीन में मिलेट्स की खेती की है, जिससे उन्हें और भी बेहतर लाभ की उम्मीद है.
मिलेट्स की खेती: कम लागत, ज्यादा मुनाफा
नसीब मुर्मू ने लोकल 18 को बताया कि मिलेट्स की खेती पारंपरिक फसलों की तुलना में बेहद आसान और कम देखभाल वाली होती है. मिलेट्स जैसे मोटे अनाज को कम पानी की जरूरत होती है और यह सूखा जैसी कठिन परिस्थितियों में भी अच्छी पैदावार देते हैं.
उनका कहना है कि मिलेट्स न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभदायक हैं, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद हैं. इसमें प्रोटीन, फाइबर और विटामिन की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो इसे एक पौष्टिक विकल्प बनाती है. इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के असर से भी यह फसल सुरक्षित रहती है क्योंकि इसे उगाने में ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती और यह कठोर परिस्थितियों में भी टिकाऊ होती है.
कृषि विभाग की मदद और तकनीकी सहायता
नसीब मुर्मू की सफलता में स्थानीय कृषि विभाग का भी बड़ा योगदान है. उन्होंने बताया कि कृषि विभाग ने उन्हें तकनीकी सहायता और बीजों की आपूर्ति में मदद की, जिससे उनकी खेती और भी प्रभावी हो सकी. इस सहायता से न केवल उनकी उपज में वृद्धि हुई, बल्कि उनके खर्चे भी कम हुए.
अब नसीब मुर्मू गांव के अन्य किसानों को भी मोटे अनाज की खेती के फायदे समझा रहे हैं और उन्हें इस खेती के लाभों के प्रति जागरूक कर रहे हैं. उनकी प्रेरणा से अब गांव के अन्य किसान भी पारंपरिक फसलों की जगह मिलेट्स की खेती करने की ओर अग्रसर हो रहे हैं.
मोटे अनाज से आने वाले समय में बढ़ेगा लाभ
नसीब मुर्मू का अनुभव बताता है कि सही जानकारी और मेहनत के साथ कोई भी किसान मोटे अनाज की खेती में सफल हो सकता है. जहां एक ओर पारंपरिक फसलों की खेती में पानी और देखभाल की अधिक आवश्यकता होती है, वहीं मिलेट्स की खेती में कम संसाधनों के साथ अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है.
इस वर्ष 1.5 एकड़ भूमि में की गई मिलेट्स की खेती से नसीब मुर्मू को पहले से ज्यादा कमाई की उम्मीद है. उन्होंने कहा, “मिलेट्स की फसल को संभालना आसान है और यह सूखे में भी उगती है, जिससे जोखिम कम हो जाता है. इससे किसानों की आय स्थिर रहती है और उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ती.”
गांव में कृषि नवाचार का नया दौर
नसीब मुर्मू अब गांव में कृषि नवाचार का एक उदाहरण बन गए हैं. उनकी सफलता से प्रेरित होकर कई किसान अब मिलेट्स की खेती के प्रति रुचि दिखा रहे हैं. उन्होंने बताया कि मिलेट्स की खेती से न केवल कम समय में अच्छी पैदावार मिलती है, बल्कि यह मिट्टी को भी उपजाऊ बनाए रखती है, जिससे भूमि की गुणवत्ता भी बेहतर होती है.
निष्कर्ष
गोड्डा के किसान नसीब मुर्मू ने मोटे अनाज (मिलेट्स) की खेती को अपनाकर न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है, बल्कि गांव के अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बने हैं. उनकी सफलता इस बात का सबूत है कि अगर सही तकनीक और जानकारी का इस्तेमाल किया जाए, तो कम संसाधनों में भी बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है. मिलेट्स की खेती ने नसीब मुर्मू की किस्मत बदल दी है, और अब वह गांव में कृषि नवाचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 12, 2024, 14:48 IST