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रविन्द्र सिंह भाटी जिसने देशभर में बटोरी सुर्खियां
बाड़मेर: पशु-पक्षियों और वन्यजीवों के लिए सुरक्षित रखी जाने वाली जमीन, जिसे ‘ओरण’ कहा जाता है, उस पर अतिक्रमण और सोलर प्लांट लगाने के विरोध में आवाज बुलंद करने वाले शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी एक बार फिर सुर्खियों में हैं. उनकी कार्यशैली और बागी तेवरों के कारण उन्हें न केवल राजस्थान बल्कि देशभर में पहचान मिली है.
ओरण संरक्षण का अभियान और सोशल मीडिया पर लोकप्रियता
“ओरण” की भूमि पर अतिक्रमण और सोलर प्लांट से उसकी प्राकृतिक संरचना को हो रहे नुकसान के खिलाफ विधायक भाटी ने आवाज उठाई. उनके “ओरण बचाओ अभियान” ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “X” (पूर्व में ट्विटर) पर कई बार ट्रेंड किया है. भाटी के तीखे तेवर और सत्ता-सरकार के खिलाफ मजबूती से खड़े रहने का अंदाज उन्हें युवाओं का चहेता बनाता है.
छात्र राजनीति से शुरू हुआ सफर
दूधोड़ा गांव के एक साधारण परिवार में 3 दिसंबर 1997 को जन्मे रविंद्र सिंह भाटी ने जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय (JNVU) में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की. 2019 में छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी से टिकट न मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़कर इतिहास रच दिया. भाटी ने एनएसयूआई के हनुमान तरड़ को 1,294 वोटों से हराकर विश्वविद्यालय के पहले निर्दलीय अध्यक्ष बनने का गौरव हासिल किया.
सोशल मीडिया पर प्रभावशाली उपस्थिति
फेसबुक पर 1 मिलियन फॉलोअर्स और इंस्टाग्राम पर 2.8 मिलियन फॉलोअर्स के साथ भाटी सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय हैं. उनकी लोकप्रियता 2022 के छात्र संघ चुनावों में और बढ़ी, जब उन्होंने एबीवीपी से टिकट न मिलने पर अपने मित्र अरविंद सिंह भाटी को निर्दलीय चुनाव लड़वाया और उनकी जीत सुनिश्चित की.
विधानसभा में बागी तेवर और जीत
भाजपा से टिकट न मिलने के बाद, रविंद्र सिंह भाटी ने शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कई केंद्रीय व राज्य मंत्रियों के प्रचार के बावजूद, भाटी ने दिसंबर 2023 में शिव विधानसभा सीट से जीत दर्ज की. 26 साल की उम्र में विधायक बनने वाले भाटी ने अपनी कड़ी मेहनत और जन समर्थन के दम पर यह मुकाम हासिल किया.
लोकसभा चुनावों में किया दमदार प्रदर्शन
विधानसभा चुनाव के चार महीने बाद, भाटी ने बाड़मेर-जैसलमेर-बालोतरा लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा. उन्होंने 5,86,500 वोट प्राप्त किए, हालांकि वे कांग्रेस के उम्मेदाराम बेनीवाल से हार गए. फिर भी, इस चुनाव ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई.
ओरण संरक्षण: एक विशेष अभियान
“ओरण” अरावली क्षेत्र की ऐसी भूमि है, जो पशु-पक्षियों और वन्यजीवों के लिए सुरक्षित मानी जाती है. यहां न खेती की जाती है और न ही पेड़ों की कटाई होती है. शिव विधायक भाटी ने इन पारंपरिक वन क्षेत्रों के संरक्षण के लिए एक आंदोलन छेड़ा है. जैसलमेर के बहिया गांव में ओरण संरक्षण के लिए उनके द्वारा दिया गया धरना और पुलिस कार्रवाई के बावजूद वे अपने लक्ष्य के लिए अडिग हैं.
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
रविंद्र सिंह भाटी का जन्म एक शिक्षक पिता शैतान सिंह भाटी और गृहिणी मां अशोक कंवर के घर हुआ. उन्होंने बीए और एलएलबी की पढ़ाई जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से की और वहीं से छात्र राजनीति में कदम रखा.
ओरण बचाओ आंदोलन को लेकर चर्चा में
भाटी की ओरण संरक्षण की पहल ने न केवल राजस्थान बल्कि देशभर का ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने सरकार और प्रशासन से इन पारंपरिक वन क्षेत्रों को संरक्षित करने की अपील की है. उनका मानना है कि ओरण न केवल पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभाते हैं, बल्कि क्षेत्र की जैव विविधता को भी बनाए रखते हैं.
भाषा और संवाद कला से बनी अलग पहचान
रविंद्र सिंह भाटी अपनी राजस्थानी भाषा और प्रभावशाली भाषणों के लिए भी जाने जाते हैं. उनकी यह शैली उन्हें जनता के बीच और भी लोकप्रिय बनाती है. रविंद्र सिंह भाटी का जीवन इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक साधारण पृष्ठभूमि से आने वाला व्यक्ति अपने मेहनत, हौसले और समाज के प्रति समर्पण से बड़ी उपलब्धियां हासिल कर सकता है.
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 19:56 IST