यूपी के इन तीन VIP शहरों में दूषित पानी से बढ़ी बीमारी, बदले जा रहे हैं फिल्टर

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नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में दूषित पानी से जूझते लोग, स्वास्थ्य पर गहरा

नोएडा: उत्तर प्रदेश के महंगे औऱ आधुनिक सुविधाओं से लैस कहे औऱ माने जाने वाले नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद के निवासियों का बुरा हाल है. यहां पहले से ही काफी लोग बिल्डरों की मनमानी से तंग हैं. दूसरा यहां कभी बारिश में गड्ढे हो जाते हैं तो कभी गली-मोहल्लों में पानी भर जाता है. अब इन दिनों यहां के लोगों को गंदे और दूषित पानी की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है. यमुना नदी की सफाई में लापरवाही के कारण इन क्षेत्रों में न केवल पीने के लिए बल्कि रोजमर्रा के काम में इस्तेमाल होने वाला पानी भी पूरी तरह से दूषित हो गया है.

नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में आने वाले पानी में टीडीएस (टोटल डिजॉल्व्ड सॉलिड्स) की मात्रा इतनी अधिक है कि कई निवासियों के आरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) फिल्टर जल्दी ही खराब हो जा रहे हैं. पानी की इस समस्या के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ रहा है जिसमें त्वचा संबंधी समस्याएं, एलर्जी, बालों का झड़ना और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं.

एक साल के भीतर करवाना पड़ता है रिपेयर
इस स्थिति पर जब लोकल 18 ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा के निवासियों से बात की तो आम्रपाली सेंचुरियन पार्क टैरिस होम्स की निवासी श्वेता भारती और जितेंद्र कुमार ने बताया कि उनके क्षेत्र में पानी में टीडीएस का स्तर इतना अधिक है कि सामान्यतः 8-10 साल में बदलने वाले वाटर फिल्टर को अब हर साल रिपेयर कराना पड़ता है या बदलवाना पड़ता है. श्वेता ने कहा, “हम पीने के पानी के लिए आरओ का उपयोग तो कर लेते हैं, लेकिन हर रोज नहाने, कपड़े धोने और बर्तन साफ करने में इसी दूषित पानी का इस्तेमाल करना पड़ता है. इससे त्वचा संबंधी एलर्जी, बाल झड़ना,और अन्य समस्याएँ बढ़ गई हैं.”

लोगों के स्वास्थ्य के साथ हो रहा है खिड़वाड़
दिल्ली-एनसीआर में दूषित पानी इस्तेमाल करने के लिए लोगों को मजबूर करने से उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. साजिद खान और प्रिंस शर्मा जैसे युवा निवासियों का कहना है कि सरकार यमुना नदी की सफाई के लिए हर साल करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा तो करती है लेकिन धरातल पर इसका कोई असर नहीं दिखाई देता. साजिद ने कहा, “हर साल यमुना सफाई के नाम पर भ्रष्टाचार होता है, लेकिन इसकी असल सफाई के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा. नेताओं की राजनीति के चलते हम लोग और हमारे बच्चे खतरनाक पानी पीने को मजबूर हैं जो हमारी हड्डियों पर भी बुरा असर डाल रहा है.”

पेट, त्वचा, बाल और हड्डियों से सम्बंधित हो रहे हैं रोग
दूषित पानी के सेवन से बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है. लोगों को हड्डियों के कमजोर होने, त्वचा रोग, पेट की समस्याओं और अन्य संक्रमणों का सामना करना लड़ता हैं. डॉक्टरों का मानना है कि इस पानी में मौजूद हानिकारक तत्वों के चलते लंबे समय तक इस पानी के सेवन से हड्डियों की मजबूती और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है. अधिकांश निवासी अब तक बार-बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई प्रभावी समाधान नहीं दिख रहा. इस पानी की समस्या से लोग अपने स्वास्थ्य के लिए चिंतित हैं और इसके स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं.

इस पर राजनीति की जगह धरातल पर हो काम
ग्रेटर नोएडा के निवासी जितेंद्र ने कहा, “यह एक बुनियादी ज़रूरत है जिसका हल प्रशासन को निकालना ही चाहिए. इस स्थिति में हम कहां तक खुद को सुरक्षित रख पाएँगे?” दिल्ली-एनसीआर के निवासियों का मानना है कि यमुना नदी की सफाई पर ध्यान दिया जाना चाहिए और पानी की गुणवत्ता में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए. वे उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार उनकी इस शिकायत को गंभीरता से लेगी और उनकी रोजमर्रा की जरूरत के इस आवश्यक मुद्दे का स्थायी समाधान निकालेगी.

Tags: Local18, Noida news, Up quality contiguous hindi, UP quality updates

FIRST PUBLISHED :

October 27, 2024, 23:38 IST

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