सहारनपुर बनता जा रहा मशरूम का हब
सहारनपुर: यूपी का सहारनपुर जनपद शहद उत्पादन में प्रदेशभर में पहला स्थान रखता है. वहीं, मशरूम उत्पादन में भी अब सहारनपुर कम नहीं है. सहारनपुर जनपद के किसान लगातार मशरूम की खेती करना पसंद कर रहे हैं. यही कारण है कि शहद के साथ-साथ सहारनपुर अब मशरूम का हब भी बनता जा रहा है.
खेती के लिए कृषि विज्ञान केंद्र में लिया ट्रेनिंग
हाल ही में सहारनपुर के मुजफ्फराबाद के रहने वाले अंकुर कुमार सैनी ने पिछले 3 महीने पहले कृषि विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग लेकर मशरूम की खेती शुरू की थी. शुरू में अंकुर कुमार सैनी ने अपने घर में मशरूम के कुछ बैग लगाकर उसका उत्पादन किया और उनको अच्छा प्रॉफिट हुआ. जिसके बाद अंकुर सैनी ने अपने भाइयों के साथ मिलकर सहारनपुर में ऑस्टर मशरूम के 2000 बैग लगा डाले.
ऑस्टर मशरूम के 6000 हजार बैग लगाने की तैयारी
किसान अंकुर कुमार सैनी द्वारा किया गया यह कार्य उत्तर प्रदेश में एक रिकॉर्ड है. अंकुर सैनी इस रिकार्ड को और मजबूत करने के लिए ऑस्टर मशरूम के 4000 बैग अगले महीने लगाने जा रहे हैं. यानी कि सहारनपुर में ऑस्टर मशरूम कि यह सबसे बड़ी यूनिट बन जाएगी, जिसमें 6000 बाग होंगे. ऑस्टर मशरूम की मार्केट में पहले कम डिमांड हुआ करती थी, लेकिन अब इस मशरूम की डिमांड बढ़ने लगी है. क्योंकि ऑस्टर मशरूम को मेडिसिनल भी इस्तेमाल किया जाता है.
प्रदेश की सबसे बड़ी ऑस्टर मशरूम की हो रही यूनिट
किसान अंकुर कुमार सैनी ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि उनका शुरू से ही रुझान था कि वह मशरूम की खेती करें. धीरे-धीरे उन्होंने इसकी जानकारी एकत्र करनी शुरू की और कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी व प्रोफेसर डॉक्टर आई.के कुशवाहा से मिलने के बाद उन्होंने मशरूम लगाने की ट्रेनिंग ली. मार्केट में अच्छी डिमांड को देखकर उन्होंने बंद पड़े मुर्गी फार्म में मशरूम फार्म शुरू किया और 1800 से 2000 बैग लगाए हैं.
अंकुर कुमार सैनी बताते हैं कि उनको 6000 बैक लगाने हैं और अगले महीने वह 4000 ऑस्टर मशरूम के बैग और लगाने जा रहे हैं, जो कि उत्तर प्रदेश में एक रिकॉर्ड होगा. ऑस्टर मशरूम की मार्केट की बात की जाए, तो फिलहाल 130 रुपए से 150 रुपए प्रति किलो बिक रही है. 2000 बैक को लगाने में लगभग 60000 रुपए का खर्चा आएगा.
युवाओं में जोश भरने का किया काम
कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी और प्रोफेसर डॉक्टर आईके कुशवाहा बताते हैं कि अंकुर कुमार सैनी ने मशरूम की यूनिट लगाकर ग्रामीण युवाओं में एक जोश भरने का काम किया है. कृषि विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग लेने के बाद अंकुर कुमार सैनी ने अब दो यूनिट में 10-10 क्विंटल भूसे के बैग बनाकर के ऑस्टर मशरूम का उत्पादन शुरू किया है. अंकुर कुमार सैनी रोजाना 50 से 100 किलो मशरूम का उत्पादन करना चाहते हैं.
ऑस्टर मशरूम में है बंपर मुनाफा
डॉ आईके कुशवाहा बताते हैं कि बटन मशरूम लगाने से इतना फायदा नहीं है, जितना ऑस्टर मशरूम लगाकर किसानों को फायदा हो रहा है. अन्य मशरूम के मुकाबले ऑस्टर मशरूम में ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है. खास बात यह है कि ऑस्टर मशरूम का उत्पादन करने के बाद इसके भूसे को पशुओं के चारे में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. जिससे पशुओं की सेहत भी अच्छी रहती है. साथ ही कृषि आय भी बढ़ती है.
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FIRST PUBLISHED :
October 25, 2024, 10:52 IST