प्रतिकात्मक तस्वीर
रोहतास : यह कोई भारतीय रेल का डिब्बा नहीं, बल्कि रोहतास जिले के नक्सल प्रभावित तिलौथू प्रखंड के पतलुका गांव में स्थित राजकीय मध्य विद्यालय है. पहली नजर में इस स्कूल को देखकर कोई भी धोखा खा सकता है, क्योंकि इसकी दीवारें और खिड़कियां बिल्कुल ट्रेन के डिब्बों जैसी दिखाई देती हैं. स्कूल की दीवारों को ट्रेन की तरह नीले रंग से रंगा गया है, और खिड़कियों का डिजाइन भी ठीक वैसा ही है जैसे ट्रेनों में होता है. जब बच्चे स्कूल के दरवाजों पर खड़े होते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे यात्री ट्रेन से बाहर झांक रहे हों.
यह अनोखा स्कूल दूर से ही बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करता है. इसकी बाहरी सजावट के साथ-साथ स्कूल के अंदर का माहौल भी प्राइवेट स्कूलों जैसा है. यहां की दीवारों को श्यामपट की तरह इस्तेमाल किया जाता है, जिससे बच्चे खेल-खेल में भी बहुत कुछ सीख सकते हैं. इसके अलावा, स्कूल में पीने के लिए साफ पानी की सुविधा उपलब्ध है और पूरे परिसर की निगरानी सीसीटीवी कैमरों से की जाती है. शिक्षक और छात्र मिलकर विद्यालय की सफाई और पौधों की देखभाल करते हैं, जिससे बच्चों में स्वच्छता और पर्यावरण की जागरूकता पैदा होती है.
यहां हर दिन 45 मिनट का चेतना सत्र आयोजित किया जाता है. इस सत्र में बच्चों को प्रार्थना, राष्ट्रगान, गुरुवंदना, समाचार वाचन, योग, और सामान्य ज्ञान से संबंधित कई गतिविधियां कराई जाती है. इसके साथ ही बच्चों को देश-दुनिया में हो रही प्रमुख घटनाओं की जानकारी भी दी जाती है. संगीत और नृत्य की शिक्षा भी इस स्कूल का एक अहम हिस्सा है, जिससे बच्चों का समग्र विकास हो सके.
विद्यालय के प्रधानाध्यापक अनिल कुमार सिंह ने अपने नवाचार से इस सरकारी स्कूल की पूरी छवि को बदल दिया है. वो बताते हैं कि उन्होंने सोशल मीडिया पर समस्तीपुर के नंदनी विद्यालय को देखकर प्रेरणा ली और सोचा कि पतलुका के इस स्कूल को भी आकर्षक बनाया जाए, ताकि बच्चे स्कूल आने के लिए उत्साहित हों. उनकी यह कोशिश सफल रही और अब इस स्कूल में आसपास के 10 गांवों के 700 से अधिक बच्चे पढ़ने आते हैं.
Tags: Bihar News, Local18
FIRST PUBLISHED :
October 7, 2024, 23:26 IST