Last Updated:February 09, 2025, 09:26 IST
रतन टाटा के निधन के बाद उनके ट्रस्टों RTEF और RTET का पुनर्गठन होगा, जिसमें उनके भाई-बहन शीरीन, डियान और नोएल टाटा नए ट्रस्टी बनेंगे. टाटा समूह की नीतियों में टाटा परिवार की भूमिका बरकरार रहेगी.
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रतन टाटा के पास टाटा संस में 0.83% हिस्सेदारी थी.
हाइलाइट्स
- रतन टाटा के निधन के बाद ट्रस्टों का पुनर्गठन होगा.
- शीरीन, डियान और नोएल टाटा नए ट्रस्टी बनेंगे.
- टाटा समूह की नीतियों में टाटा परिवार की भूमिका बरकरार रहेगी.
नई दिल्ली. दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन के बाद उनके द्वारा स्थापित ट्रस्टों में बड़ा बदलाव होने जा रहा है. रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन (RTEF) और रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट (RTET), जिन्हें टाटा कंपनियों में उनकी हिस्सेदारी विरासत में मिली है, का पुनर्गठन होगा. रतन टाटा के सौतेले भाई-बहन—शीरीन जेजीभॉय, डियान जेजीभॉय और नोएल टाटा—इन ट्रस्टों के नए ट्रस्टी बनने जा रहे हैं. ये दोनों ही ट्रस्ट रतन टाटा की रतन टाटा के वित्तीय कस्टोडियन हैं. इस बदलाव से स्पष्ट हो गया है कि टाटा समूह की भविष्य की नीतियों में टाटा परिवार की भूमिका बरकरार रहेगी, जबकि ट्रस्टों के माध्यम से सामाजिक कल्याण की गतिविधियों को और मजबूती मिलेगी.
रतन टाटा के पास टाटा संस में 0.83% हिस्सेदारी थी जो समूह की होल्डिंग कंपनी है. इसके अलावा टाटा डिजिटल, टाटा मोटर्स और टाटा टेक्नोलॉजीज में भी उनकी हिस्सेदारी थी, जिसे अब RTEF को स्थानांतरित किया जाएगा. उनके पास कई स्टार्टअप में भी निवेश था जिनमें से कुछ को बेचकर RTET को धन दिया जाएगा, जबकि कुछ सीधे ट्रस्ट को हस्तांतरित किए जाएंगे. उनकी कुल संपत्ति 10,000 करोड़ रुपये से अधिक आंकी जा रही है. रतन टाटा की वसीयत को शीरीन जेजीभॉय, डियान जेजीभॉय, दारियस खंबाटा और टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टी मेहली मिस्त्री द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा. मिस्त्री को छोड़कर बाकी सभी किसी न किसी रूप में RTEF और RTET के बोर्ड का हिस्सा होंगे.
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शिक्षा और स्वास्थ्य में सहयोग जारी रहेगा
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, RTEF और RTET दोनों ट्रस्ट शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के विकास के साथ-साथ समाज के वंचित वर्गों के उत्थान पर ध्यान केंद्रित करेंगे. ये वे उद्देश्य हैं जिनका समर्थन रतन टाटा व्यक्तिगत रूप से करते थे और जिनके लिए उन्होंने जीवनभर योगदान दिया.
RTEF और RTET के मौजूदा दो-दो ट्रस्टियों की संख्या बढ़कर क्रमशः छह और सात हो जाएगी. टाटा संस के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन दोनों संस्थानों के प्रबंध ट्रस्टी बनने वाले हैं, जिससे वह इनके मार्गदर्शक बनेंगे. हालांकि, टाटा संस के नियमों के अनुसार वह इन ट्रस्टों के अध्यक्ष नहीं बन सकते.
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New Delhi,New Delhi,Delhi
First Published :
February 09, 2025, 09:26 IST