रबी सीजन में दलहनी फसल के लिए बीज उपचार जरूरी, पैदावार में होगा इजाफा

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अरहर

अरहर की खेती की तस्वीर

शशांक शेखर/ जहानाबाद: सर्दियों का मौसम शुरू होते ही रबी फसल की बुआई का समय आ गया है. गेहूं, दलहन और तिलहन की बुआई की तैयारी जोरों पर है. ऐसे में किसानों के लिए बीज उपचार एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसे अपनाने से न सिर्फ पैदावार बढ़ेगी बल्कि फसलों को रोगों और कीटों से भी सुरक्षा मिलेगी.

बीज उपचार से बढ़ेगी पैदावार, कीटों से मिलेगी सुरक्षा
कृषि विज्ञान केंद्र गंधार के कीट विशेषज्ञ डॉ. वाजिद हसन ने बीज उपचार की अहमियत पर जोर देते हुए बताया कि रबी सीजन में गेहूं, सरसों और विशेषकर दलहनी फसल जैसे मसूर, चना, तिल और मटर के लिए बीज उपचार बेहद जरूरी है. बीज उपचार से न केवल फसल रोगमुक्त होती है बल्कि पैदावार में भी इजाफा होता है. डॉ. हसन के अनुसार, सही तरीके से बीज उपचार करने से फसल पर फंगस और कीटों का हमला कम होता है.

बीज उपचार का सही तरीका
डॉ. वाजिद हसन ने बीज उपचार की विधि बताते हुए कहा कि बीज उपचार करने से पहले मसूर या अन्य दलहनी फसलों के बीजों को रात भर ओस में खुली छत पर फैला देना चाहिए. सुबह होते ही इन्हें समेटकर किसी ढक्कन वाले कंटेनर (मटका, ड्रम या बाल्टी) में रखकर बीजों का उपचार शुरू करें.

फंगीसाइड (FIR) से बीज उपचार
बीज को कार्बोक्सिन ग्रुप के फंगीसाइड से उपचारित करें. बाजार में उपलब्ध वीटा वैक्स पावर को 2.5-3 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से लें और बीज में अच्छी तरह मिलाएं. इसे कंटेनर में बंद करके 20 मीटर तक चलाएं, जिससे बीज पर दवा की एक परत बन जाए.

इंसेक्टिसाइड से बीज उपचार
फंगीसाइड के बाद बीज को इंसेक्टिसाइड से उपचारित करें. इसके लिए इमीडाइक्लोप्रीड या थायोमेथोक्सम का उपयोग करें। 1 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से इसे भी बीज में मिलाएं.

राईजोबियम से बीज उपचार
आखिर में, राईजोबियम का इस्तेमाल करें, जो दलहनी फसलों के लिए बेहद फायदेमंद है. मसूर के बीज के लिए ट्राईफोली राईजोबियम का उपयोग करें. 100 ग्राम राईजोबियम को गुड़ के घोल में मिलाकर बीज पर लगाएं. इससे बीज के ऊपर एक सुरक्षा परत बन जाएगी और यह बुआई के लिए तैयार हो जाएगा.

बीज उपचार के फायदे
बीज उपचार करने से फसल के शुरुआती दिनों में फंगस और कीटों से बचाव हो जाता है. फंगीसाइड से बीज की सुरक्षा होने पर फंगस बीज में प्रवेश नहीं कर पाता और इंसेक्टिसाइड से बीज 30-35 दिनों तक कीटों से सुरक्षित रहता है. वहीं, राईजोबियम से दलहनी फसलों में नाइट्रोजन का समुचित प्रबंधन होता है, जिससे यूरिया की जरूरत नहीं पड़ती.

बीज उपचार नहीं करने के नुकसान
बीज उपचार न करने पर फंगस बीज का 10-15 प्रतिशत तक नुकसान कर सकता है, जिससे फसल में सूखने की समस्या देखने को मिल सकती है. विशेषज्ञों के अनुसार, बिना बीज उपचार के फसल की पैदावार कम हो जाती है और फसल रोग और कीटों के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाती है. किसान बीज उपचार की इस सरल और प्रभावी प्रक्रिया को अपनाकर अपनी पैदावार को बेहतर बना सकते हैं.

Tags: Bihar News, Local18

FIRST PUBLISHED :

October 8, 2024, 23:31 IST

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