'रोटी, कपड़ा और मकान', 1974 में आई वो फिल्म जिसने खोली भारतीय अर्थव्यवस्था की पोल, 51 साल बाद भी वही हैं हाल?

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Roti Kapra And Makan Image Source : INSTAGRAM रोटी, कपड़ा और मकान

फिल्में समाज का आईना कही जाती हैं। आज बजट 2025 का दिन है और इस खास मौके पर हम आपके लिए लेकर आए हैं ऐसी फिल्म की कहानी जो भारतीय अर्थव्यवस्था की हकीकत बयां कर चुकी है। इस फिल्म के रिलीज को भले ही 51 साल हो गए हैं लेकिन इसकी कहानी आज भी समसामायिक लगती है। साल 1974 में रिलीज हुई इस फिल्म का नाम था 'रोटी कपड़ा और मकान'। इंसान की 3 मूलभूत जरूरतों की दास्तां बयां करती ये फिल्म भारतीय अर्थव्यवस्था पर हकीकत का ऐसा तमाचा मारती है कि इसकी कराह आज 51 साल बाद भी कम नहीं हुई है।

पहले सीन से ही बयां करती अर्थव्यवस्था की कहानी

डायरेक्टर मनोज कुमार की फिल्म 'रोटी कपड़ा और मकान' 1974 में रिलीज हुई थी। फिल्म में अमिताभ बच्चन, मनोज कुमार और शशि कपूर के साथ जीनत अमान लीड किरदारों में नजर आए थे। फिल्म का पहला सीन ही भारतीय अर्थव्यवस्था की बदहाली के परिणाम से जूझ रहे एक आम आदमी की जिंदगी से शुरू होती है। इस सीन को अमिताभ बच्चन ने खुद किया था। फिल्म की कहानी का नायक (मनोज कुमार) एक मिडिल क्लास परिवार का जवान लड़का है। कहानी का नायक भारत इंजीनियर बनने के ख्वाब देखता है लेकिन मध्यम वर्गीय परिवार के लड़कों को ख्वाब देखने की भी कीमत चुकानी पड़ती है। भारत इंजीनियर बनना चाहता है लेकिन उसके पिता की नौकरी चली जाती है। घर चलाने की जिम्मेदारी घर के बड़े बेटे भारत पर आ जाती है। इसके बाद कहानी प्याज की परतों की तरह खुलती है और भारतीय बदहाल अर्थव्यवस्था की धज्जियां उड़ाती चली जाती है। इस फिल्म की कहानी इतनी सटीक थी कि आज 51 साल बाद भी समसामायिक लगती है। इस फिल्म को देखकर आज भी ये अहसास होता है कि 51 साल भी हालातों में ज्यादा सुधार नहीं आया है। भारतीय मध्यम वर्गीय परिवारों की समस्याएं आज भी वैसे की वैसे ही खड़ी हैं। 

बॉक्स ऑफिस पर हिट रही थी फिल्म

'रोटी, कपड़ा और मकान' जिस दौर की फिल्म थी उस दौर में मनोरंजन के साथ समाज को हकीकत का आईना दिखाने का भी काम किया जाता था। ये वो दौर था जब डायरेक्टर्स मुनाफे की जगह बेजोड़ कहानी को तरजीह देते थे। इसके बाद भी इस फिल्म की कहानी इतनी दमदार थी कि लोग इसके दीवाने हो गए थे। ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर भी सुपरहिट रही थी। इतना ही नहीं इस फिल्म को आज भी लोग 51 साल होने पर भूले नहीं है। इस फिल्म को देखकर आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था की मैलप्रेक्टिसेस पर सवाल खड़े करती है। आज 2025 का बजट घोषित होने जा रहा है। इस खास मौके पर आप ये फिल्म देखकर भारत की 50 साल की तरक्की की हकीकत का भी अंदाजा लगा सकते हैं। 

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