इजरायली सेना ने लेबनान में लिमिटेड टार्गेट ग्राउंड ऑपरेशन एक अक्टूबर को शुरू किया था. इस पूरे ऑपरेशन का नाम दिया गया ‘नॉर्दन एरो’. एक तरफ इजरायली सेना एक के बाद एक एयर स्ट्राइक करके हिजबुल्लाह के ठिकानों और हथियारों के भंडार को निशाना बना रहा था, तो जमीन पर भी ऑपरेशन शुरू तेज़ था. लेकिन अब सीज़फायर का समय आ गया है. इजरायली मीडिया के मुताबिक, सोमवार को इस सीजफायर एग्रीमेंट को तैयार कर लिया गया और मंगलवार को होने वाली इजरायली नेशनल सिक्योरिटी कैबिनेट की बैठक में इस पर मुहर लग सकती है.
इजरायली सरकार के प्रवक्ता ने कहा, ‘डील की तरफ बढ़ रहे हैं, लेकिन अब भी कुछ मुद्दे हैं जिसे एड्रेस करना है.’ हालांकि बेंजामिन नेतन्याहू से इसे मंजूरी भी दे दी है. रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के इस सीजफायर ऑफर पर लेबनान में हिजबुल्लाह की लीडरशिप भी सहमति जता रहा है, लेकिन जब तक डील नहीं हो जाती तब तक कुछ कहा नहीं जा सकता.
हिजबुल्लाह ने थाम लिए अपने रॉकेट
जब से इस सीजफायर की चर्चा शुरू हुई, उसके बाद से लेबनान की तरफ से हिजबुल्लाह के हमलों में भी कमी देखी गई है. जो हिजबुल्लाह दिनभर में इजरायल पर 150-200 रॉकेट तक दाग देता था. सोमवार को यह आंकड़ा बस डबल डिजिट तक ही सीमित रह गया. हालांकि इजरायली सेना यानी IDF इस सीज़फायर के एलान से पहले हिजबुल्लाह के सारे बड़े ठिकानों को नष्ट कर देना चाहता है और इसी लिए लगातार एयर स्ट्राइक जारी है. सोमवार को IDF ने हिजबुल्लाह के एग्जीक्यूटिव काउंसिल के कई ठिकानों पर बम बरसाए. यह हिजबुल्लाह की सुप्रीम बॉडी है.
इस जंग में IDF ने हिजबुल्लाह पर सदी का सबसे चौंकाने वाला पेजर अटैक, तकनीक की लड़ाई का एक नज़ीर बन गया. पेजर अटैक के जरिये जब 3000 से ज़्यादा हिजबुल्लाह के आतंकियों को एक साथ निशाना बनाया. ताज्जुब तो तब हुआ जब बेरूत में घुसकर हिजबुल्लाह के चीफ नसरल्लाह को उसके 20 अन्य कमॉडरों के साथ ख़त्म कर दिया. वो भी तकनीक के बेहतरीन इस्तेमाल से, जो कोई सोच भी नहीं सकता.
हालांकि ये भी किसी ने नहीं सोचा होगा कि जिस हिजबुल्लाह को ईरान मदद कर रहा हो और अमेरिका लगातार जंग में इजरायल की मदद कर रहा हो, एकदम से दोनों सीज़फायर के लिए तैयार हो जाएंगे. साफ है कि डोनाल्ड ट्रंप के आने से पहले बाइडन कम से कम इस जंग को रोकने का क्रेडिट ले लेना चाहते हैं.
सीजफायर के साथ खत्म हो जाएगी UN पीस कीपर की चिंता
वैसे इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच इस सीजफायर से संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों की चिंता भी खत्म हो जाएगी. UNIFIL के ठिकानों पर जहां हिजबुल्लाह ताबड़तोड़ रॉकेट बरसा रहा था, तो वहीं इजरायली सेना भी अपने टैंकों के ज़रिये इसके पोस्ट में घुस जा रही थी. इजरायली हमलों में अब तक 45 लेबनानी सैनिकों की मौत हो चुकी है. यही वजह है कि सीज़फायर से ठीक पहले UNIFIL ने लेबनान की सेना को इजरायली सेना की तरफ निशाना बनाए जाने को लेकर नाराजगी जताते हुए चिंता भरा बयान जारी किया.
UNIFIL ने अपने बयान में कहा कि लेबनान की सेना के इस जंग में शामिल ना होने के एलान के बाद भी इजरायली वायुसेना ने लेबनानी सैनिकों को निशाना बनाया. पिछले कुछ हफ्तों में इजरायली हमलों में लेबनानी सेना को जान माल का भारी नुकसान हुआ. लेबनान की सेना के मुताबिक अब तक उसके 45 सैनिक मारे गए हैं. इस तरह के हमले यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल रेजिल्यूशन 1701 और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन हैं, जो कि संघर्ष में शामिल ही नहीं है.
बहरहाल इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच सीज़फायर से ना सिर्फ़ लेबनान के आम लोगों को राहत मिलेगी साथ ही जो भी इस जंग से बचने के लिए सीरिया और अन्य जगह पर शरण लेने को मजबूर हैं उनकी भी घर वापसी हो सकेगी.
FIRST PUBLISHED :
November 25, 2024, 23:45 IST