हजारीबाग. इस्लाम धर्म में टोपी पहनने को सुन्नत माना जाता है. यह उनके रिवाज और कल्चर का एक हिस्सा है. नमाज या कुरान शरीफ पढ़ने के दौरान टोपी आवश्यक लगते हैं. हजारीबाग के नवाबगंज स्थित दाता शाह मदारा ने 366वें उर्ष मिली का आयोजन किया गया है जहां एक टोपी की दुकान आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
इसमें लोग भारतीय टोपी के साथ-साथ विदेशी टोपी भी लोग खूब पसंद कर रहे हैं. इसमें ईरानी, अफगानी, बांग्लादेशी, पस्तूनी, पाकिस्तानी टोपियों का खास डिमांड है. टोपी दुकान के संचालक मोहम्मद रिजवान बताते हैं कि उर्ष के मेले सभी लोग नए चीजों को पहनना पसंद करते हैं. चाहे वह कपड़े की बात हो या टोपी हो. जिस करण सेवा उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले से यहां टोपी का स्टाल सजाने के लिए आए हैं. अभी के समय में लोग तुर्की का नमाजी टोपी का अधिक डिमांड है. जिसकी कीमत यहां पर 40 रूपये से शुरू हो जाता है वही 220 रूपये तक की टोपी उपलब्ध है.
सबको आ रही है पसंद
उन्होंने आगे बताया कि तुर्की के टोपी के अलावा ग्राहक बांग्लादेशी, ईरानी और चाइना की टोपी की डिमांड कर रहे हैं. इनकी कीमत 50 से 500 रुपए तक की है. इसके साथ भारत में बनी टोपी भी अधेड़ उम्र के लोग अधिक पसंद करते है. इसमें हिंदुस्तानी, रामपुरी, क्रोएशिया के धागे से बुनी इंडोनेशिया की टोपी, लखनवी टोपी बिक रही हैं. इनकी शुरुआत 30 रुपए से हो जाती है. वही बांग्लादेशी सफेद रंग की टोपी 30 रुपए में मिल जाता है. जिसे बड़े बुजुर्ग पहनना खूब पसंद करते हैं. शाम के समय मेले में सबसे अधिक रौनक रहती है.
Editor- Anuj Singh
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FIRST PUBLISHED :
November 17, 2024, 07:24 IST