विवाह में आ रही अड़चन, तो आज करें ये उपाय, मां कात्यायनी होंगी प्रसन्न!

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छठे दिन माता कात्यायनी के दर्शन का विधान

अभिषेक जायसवाल/ वाराणसी: शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के अलग अलग स्वरूप की पूजा की जाती है. नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी के पूजन का धार्मिक विधान है. माता कात्यायनी मां पार्वती की स्वरूप है. कहीं कहीं इन्हें दुर्गा और भद्रकाली जैसे नाम से भी वर्णित किया गया है. माता कात्यायनी ने ही महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि देवी की पूजा से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके अलावा यदि कुंवारी लड़कियां इनकी पूजा करें तो उनके विवाह सम्बंधित बाधाएं भी दूर होती है.

काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि नवरात्रि के छठे दिन देवी की पूजा से विवाह संबधी सभी तरह की बाधाएं दूर होती हैं. जिन कन्याओं के विवाह में अड़चनें आ रही हो, उन्हें नवरात्र के छठे दिन देवी की पूजा आराधना जरूर करनी चाहिए. इस दौरान देवी को हल्दी भी चढ़ाना चाहिए. इससे विवाह सम्बंधित सभी तरह के दोष दूर होते हैं. नवरात्रि के अलावा मंगलवार के दिन भी इनकी पूजा का विधान है.

चढ़ाएं ये पीले सामान

देवी के पूजन के दौरान उन्हें सोलर श्रृंगार की चींजे भी अर्पण करनी चाहिए. इसके अलावा उनके पूजा में उन्हें पीला पुष्प, पीला वस्त्र, पीली  मिठाई भी जरूर अर्पण करनी चाहिए.  इससे देवी की कृपा अतिशीघ्र ही प्राप्त होती है.

ऐसा है देवी का स्वरूप

पुराणों के अनुसार, देवी कात्यायनी की चार भुजाएं हैं. इनकी एक भुजा में कमल पुष्प और दूसरे में तलवार है. इसके अलावा इनकी एक भुजा अभयमुद्रा और दूसरी भुजा वरमुद्रा में है. देवी कात्यायनी भी सिंह पर सवार है. कथाओं के अनुसार इनका स्वरूप अत्यधिक चमकीला है.

ये है कथा
कथाओं के अनुसार, देवी कात्यायनी महर्षि कात्यायन की पुत्री है. कठोर तप के बाद माता पार्वती कात्याय ऋषि के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था. अपने पिता कात्यायन की पूजा के बाद ही इन्होंने विजयादशमी के दिन महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था. इसलिए इन्हें कात्यायनी देवी के नाम से जाना जाता है.

Tags: Hindi news, Local18, Navratri festival, Religion 18

FIRST PUBLISHED :

October 8, 2024, 08:13 IST

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