कन्या पूजन
अयोध्या: सनातन धर्म में नवरात्र के दौरान कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. क्योंकि कन्या को माता दुर्गा का स्वरूप मानकर इनकी पूजा आराधना की जाती है. यह अनुष्ठान आमतौर पर नवरात्रि के अष्टमी और नवमी को किया जाता है, लेकिन कुछ लोग नवरात्रि के अन्य दिनों पर भी कन्या पूजन करते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार देवी दुर्गा ने कलासुर नाम के असुर को हराने के लिए एक लड़की के रूप में अवतार लिया था. इस वजह से नवरात्रि पर कन्या पूजन का आयोजन किया जाता है. नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि को छोटी-छोटी कन्याओं को भोजन कराया जाता है, उन्हें दान और दक्षिण दिया जाता है, उनका पैर धोया जाता है, उनकी पूजा आराधना की जाती है और बाद में उनकी आरती भी उतारी जाती है. कन्या पूजन के दौरान कुछ नियमों का पालन भी करना चाहिए, जिससे पूजा का पूर्ण फल प्राप्त हो सके. तो चलिए आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं कि कन्या पूजन के दौरान किन-किन नियमों का पालन करना चाहिए.
नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व
दरअसल अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि शारदीय नवरात्रि का पर्व चल रहा है और शारदीय नवरात्रि में मां जगत जननी जगदंबा के नौ स्वरूप की पूजा आराधना की जाती है. साथ ही अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन किया जाता है. नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. कहा जाता है कि इन कन्याओं को माता रानी का स्वरूप मानकर लोग इनकी पूजा आराधना करते हैं. ऐसा करने से जीवन में कभी भी किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती.
नवरात्रि में कैसे करें कन्या पूजन
कन्या पूजन के दौरान कुछ नियम का पालन करना चाहिए जिसमें अनुष्ठान की शुरुआत कन्याओं के स्वागत से करना चाहिए. इसके बाद उनके पैर धोकर उन्हें आसन पर बैठना चाहिए. फिर कलावा (पवित्र धागा) माथे पर लाल कुमकुम लगाना चाहिए. इसके बाद पूरी, काले चने, नारियल और हलवे को भोग के रूप में खिलाना चाहिए. कन्याओं को चुनरी चूड़ियां और नए वस्त्र दान देना चाहिए. अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा दें. इसके बाद पैर छूकर कन्याओं से आशीर्वाद लेना चाहिए. अंत में उन्हें थोड़ा जल देकर उनसे अपने घर में छिड़कने को कहना चाहिए. साथ ही स्वयं भी अक्षत को लेना चाहिए. इस दौरान तामसिक चीजों से परहेज करना चाहिए .
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FIRST PUBLISHED :
October 8, 2024, 09:50 IST
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