शादियों में उत्तराखंड के छोलिया नृत्य की धूम, तलवार लेकर करते हैं डांस

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छोलिया

छोलिया डांस दिखाते कलाकार 

Uttarakhandi Chholiya Nritya: छोलिया नृत्य उत्तराखंड का एक प्रचलित तलवार नृत्य है. जिसे खासतौर पर शुंभ कार्यों की शान म ...अधिक पढ़ें

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बागेश्‍वर: उत्तराखंड में इन दिनों शादियों का सीजन जोर-शोर से चल रहा है, ऐसे में यहां का छोलिया डांस खूब ट्रेडिंग में चल रहा है. पहाड़ी हो या नॉन पहाड़ी सभी इसकी धुन में थिरक रहे हैं. कुछ समय पहले पहाड़ के लोग धीरे-धीरे अपनी संस्कृति से दूर हो रहे थे, लेकिन अब सोशल मीडिया के बढ़ते क्रेज ने लोगों को अपनी संस्कृति की तरफ आकर्षित किया है, यही कारण है कि इन दिनों शादियों में छोलिया डांस की खूब डिमांड हो रही है. लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए विभागाध्यक्ष पत्रकारिता (गायक) प्रोफेसर राकेश चंद्र रयाल बताते हैं कि अब लोग अपनी उत्तराखंडी संस्कृति को दोबारा अपना रहे हैं और अपने रीति-रिवाजों को पहचान रहे हैं, इन दिनों शादियों में छोलिया नृत्य का खूब चलन हो रहा है.

क्या है छोलिया डांस 

छोलिया नृत्य उत्तराखंड का एक प्रचलित तलवार नृत्य है. जिसे खासतौर पर शुंभ कार्यों की शान माना जाता है. पहाड़ की शादियों में छोलिया डांस खूब प्रचलित है. इस नृत्य को करने वाले दल में 10 से 20 लोग शामिल होते हैं. इस डांस को करने में कलाकारों का शारिरिक कौशल महत्वपूर्ण है. जब कलाकार एक धुन में एक साथ डांस करते हैं, तो यह उनके आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को दर्शाता है. यह कुमाऊंनी जनजाति की मार्शल आर्ट परंपरा को भी दिखाता है. इस नृत्य में नर्तक तलवार और ढाल के साथ कुमाऊं के योद्धाओं की तरह तैयार होते हैं.

छोलिया डांस में प्रयोग होने वाले वाद्ययंत्र 

कुमाऊंनी छोलिया नृत्य में तुरी, नागफनी, रणसिंह, ढोल-दमाऊ, मसकबीन, नौसुरिया मुरूली, ज्योंया. शामिल होता है. तुरी, नागफनी और रणसिंह जैसे पीतल के वाद्ययंत्रों का इस्तेमाल पहले युद्ध में सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए किया जाता था. ढोल और दमाऊ जैसे ताल वाद्ययंत्रों को बजाने वालों को ढोली कहा जाता है. मसकबीन या बैगपाइप को अंग्रेजों ने मार्चिंग बैंड में बजाने के लिए पेश किया था. नौसुरिया मुरूली एक तरह की बांसुरी है. ज्योंया कुमाऊं की एक तरह की दोहरी बांसुरी है.

छोलिया नृतकों की वेषभूषा 

छोलिया नृत्य करने वाले पुरुषों की वेशभूषा में चूड़ीदार पैजामा, एक लंबा-सा घेरदार छोला यानी कुर्ता और छोला के ऊपर पहनी जाते वाली बेल्ट कमाल की लगती है. इसके अलावा सिर में पगड़ी, कानों में बालियां, पैरों में घुंघरू की पट्टियां और चेहरे पर चंदन और सिंदूर लगे होने से पुरुषों का एक अलग ही अवतार दिखता है. बारात के घर से निकलने पर नर्तक रंग-बिरंगी पोशाक में तलवार और ढाल के साथ आगे-आगे नृत्य करते चलते हैं. नृत्य दुल्हन के घर पहुंचने तक जारी रहता है. बारात के साथ तुरही या रणसिंघा भी होता है.

छोलिया डांस की डिमांड शहरों में

छोलिया डांस अब उत्तराखंड समेत अन्य शहरों की शादियों की भी रौनक बढ़ा रहा है. लोग दिल्ली, देहरादून, हल्द्वानी, ऋषिकेश जैसे शहरों में भी दूर-दूर गांव से छोलिया नृत्य के दल बुलाकर डांस करवा रहे हैं, और वास्तव में यह नृत्य शुंभ कार्यो की शोभा को बढ़ा देते हैं. साथ ही महफिल में चार-चांद लगाने का काम कर रहे है.

युवाओं का पसंदीदा डांस बना छोलिया नृत्य 

सोशल मीडिया के बढ़ते क्रेज ने युवाओं को छोलिया नृत्य का फैन बना दिया है. युवाओं ने पहले छोलिया नृत्य इंटरनेट पर देखा, लेकिन अब युवा इन्हीं धुन पर थिरकना चाहते हैं. खासतौर पर शादियों में युवाओं को छोलिया डांस की धुन के बजने का इंतजार रहता है, और वह इस डांस को विडियो बनाने और संस्कृति के लिहाज से विशेष महत्व दे रहे हैं.

छोलिया डांस और संस्कृति 

छोलिया नृत्य के दौरान नर्तकों की भाव-भंगिमा में ‘छल’ सुनाई देता है. नर्तक अपने हाव-भाव से एक-दूसरे को छेड़ने का नाटक करते हुए, दूसरे को चिढ़ाने और उकसाने के भाव प्रस्तुत करते हैं. इसके अलावा डर और खुशी के भाव भी नृत्य में झलकते हैं. इस दौरान जब आसपास मौजूद लोग रुपये उछालते हैं तो छोल्यार उन्हें तलवार की नोक से उठाते हैं. खास बात ये कि छोल्यार एक-दूसरे को उलझाकर बड़ी चालाकी से रुपये उठाने की कोशिश करते हैं. यह दृश्य देखने में बड़ा आकर्षक और मनमोहक लगता है.

संस्कृति के संरक्षण का प्रचलन रखें जारी

छोलिया डांस उत्तराखंड की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है. इसे बचाएं रखना जितना बुजुर्गों की जिम्मेदारी है, उससे कई गुना अधिक जिम्मेदारी युवाओं की है. युवाओं को आगे और व्यापक स्तरों पर छोलिया नृत्य का प्रचार-प्रसार करना चाहिए, ताकि उत्तराखंड की संस्कृति को देश-विदेश में वृहद रूप में पहचान मिल सकें. उत्तराखंड की आने वाली भावी पीढ़ी को भी इसके बारे में जानकारी हो.

Tags: Hindi news, Local18, Uttarakhand news

FIRST PUBLISHED :

November 22, 2024, 13:39 IST

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